Sanjeet Gupta  
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Joined 15 February 2017


Joined 15 February 2017
21 JAN AT 5:45

राम राम तो सब करे, राम को अपने भीतर कैसे लाओगे ।
काम क्रोध के भीतर रह कर क्या खुद को शीतल कर पाओगे। ।

राम को पूजो, राम को मानो, पर राम को जानो नहीं।
आज कल के झूठे नारों में सब कुछ है बस श्री राम नहीं।

योगवासिष्ठ के ज्ञान को समझो, तो राम को समझ पाओगे।
मन को मानसरोवर करलो तो ही मोती पाओगे ।।

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6 JAN AT 12:56

सांख्य दर्शन: पुरुष और प्रकृति का सार।।

मनुष्य का जन्म रोते हुए हुआ होता है,
क्योंकि उसकी चेतना को दुःख (बंधन)से मुक्ति (मोक्ष) चाहिए। ।
मुक्ति के लिए प्रेम चाहिए। ।
प्रेम के लिए आत्मज्ञान चाहिए। ।
आत्मज्ञान के लिए विवेक चाहिए। ।
विवेक के लिए मन की सन्ति और एकाग्रता चाहिए। ।
मन के एकाग्रता के लिए संघर्ष चाहिए। ।
संघर्ष के लिए कृष्ण (भागवत गीता) चाहिये। ।

इसीलिए संत कबीर ने कहा है।।

प्रेम-प्रेम सब कोइ कहैं, प्रेम न चीन्है कोय।
जा मारग साहिब (कृष्ण) मिलै, प्रेम कहावै सोय॥

अर्थात
प्रेम का अर्थ वो नहीं जो पुरूष को स्त्री से मिला दे। ।
प्रेम का अर्थ वो है जो पुरुष की चेतना को मुक्ति तक पहुचा दे। ।

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28 NOV 2023 AT 5:05

जिसने सोने की लंका जीत के लौटा दी ,
उसके नाम पे ही सोने चांदी है बिकते ।।
है श्री राम तेरे जगत के लोग है बहोत सस्ते। ।

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10 NOV 2023 AT 21:06

आपके जीवन मे हमेशा खुशियों की jyoti जगमगाये।।

सारे संकट दूर हो, anirudh सा शौर्य,
श्री राम सा Gaurav पाए। ।

लक्ष्मी और vaishnavi विराजे आपके द्वार, धन अथवा समृद्धी की varsha हो जाए।।

सफलता की कोई seema ना रहे, यश और कीर्ति विश्व भर मे ख्याति पाए। ।

Pooja और sadhna बनी रहे जीवन भर, सारे दुख दूर हो जाए।।

जीवन में इतनी समृद्धी हो के इस के sakshi खुद श्री गणेश हो जाए ।।

मेरी तरफ से आप सभी को दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें। ।

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14 MAY 2023 AT 22:27

जो हमारे प्यार से बच गया तो बच गया
नफरत थोड़ी भारी पड़ती है,
क्योंकि हम सब प्यार के मारे हुए हैं ।।

कौन है ऐसा है जो नफरत का शिकार है,
जो आपसे नफरत करता है उसके पास आप रहते ही नही,
क्योंकि मारे हम सब सम्मान के है।।

जिसको जान गए कि नफरत करता है आपसे उसे दूर हो जाओगे,
आपको तबाह करते है तो प्यार करने वाले,
क्योंकि मारे हम सब प्यार के है ।।

कैक्टस आपको प्यार भी करने आयेगा तो कांटे ही दे पाएगा,
पर चाहत सबको फूल की है।।

किसको प्यार करने से पहले खुद फूल बनो,
कांटो का हार बनने से पहले खुद फूल बनो,
दूसरे को चाहने से पहले खुद को चाह लो,
दूसरे को सुधारने से पहले खुद को सुधार लो,
ये स्वार्थ ज़रूरी है।।

क्योंकि मारे हम सब अभिमान के है।।

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7 MAR 2023 AT 17:05

जब तुम्हारे जीवन में कृष्ण सी गहराई नहीं,
जब तुम्हारे बोध में गीता की ऊंचाई नहीं ।
तो वह प्रेम कैसे राधा कृष्ण जैसा हो गया ,
जब मन में कृष्ण सी सच्चाई नहीं।।

प्रेम तो ऐसा हो, ना मोह का बंधन रहे, आकर्षण की प्यास,
मन में सदा रहे कृष्ण की आवाज।।

प्रेम तो वह है जो ले जाए कृष्ण की ओर,
खुद को पहचानो पहले, वही है अंतिम छोर।।

प्रेम तो आध्यात्मिक है, जहां भौतिक जैसा कुछ भी नहीं,
जब तक तुम भ्रम में हो, तब तक तुम्हारे प्रेम में भी कोई सच्चाई नहीं।।


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13 JAN 2023 AT 22:32

मैं खुद से ज्यादा डरा हुआ, करता तेरी रखवाली हूं,
मैं खुद ही खुद में भरा हुआ, मैं खुद ही खुद में खाली हूं ।।
कभी देख पराई पीड़ा में आंसू देता छलकाए हूं ,
कभी मांगते उस भिकारी को देता दूर भगाए हूं।।
कभी कर्ण जैसा दानवीर मैं, कभी युधिष्ठिर जैसा जुआरी हूं,
कभी अभिमन्यु सा पराक्रमी, कभी शकुनी जैसा चाली हूं ।।
मैं खुद ही खुद में भरा हुआ, मैं खुद ही खुद में खाली हूं ।।

कभी रावण जैसा अहंकारी, इसलिए राम की ओर जाता हूं,
खोज केवल खुद में खुद की है, इसलिए कृष्ण की गीता दोहराता हूं।
कभी राह भटकता सा, कर्ण जैसा पक्षपाती हूं,
कभी विकर्ण जैसा साहसी ,सही मंजिल पाता हूं।।
कभी दुशासन सा कायर, कभी भीम सा बलशाली हूं,
कभी अर्जुन सा सूरवीर मैं, कभी दुर्योधन जैसा जाली हूं,
मैं खुद ही खुद में भरा हुआ, मैं खुद ही खुद में खाली हूं ।।

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19 DEC 2022 AT 9:30

क्यों ढूंढे मंदिर को, सब के अंदर बसते शिव,
सत्य ही शिव है, सबसे सुंदर शिव ।।
जो ढूंढे अपने अंदर के सत्य को, उस के अंदर शिव,
जो झूठ, कपट, पाखंड, मोह माया से दूर,
देह उसका शिवाला, रूह में सजते शिव ।।


सत्यम शिवम सुंदरम !!🙏

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14 DEC 2022 AT 14:00

गीता को पढ़ा नहीं जाता,
गीता को पाया जाता है,
जो लायक हो इसके, उसके लिए है गीता।।

कोई नहीं जो धर्म संकट में ना पड़ा हो,
ऐसा कोई नहीं जो कुरुक्षेत्र में ना खड़ा हो।।
पर कोई नहीं जो अर्जुन सा लड़ा हो,
जो लड़ा है, उसके लिए है गीता।।

लाखों लोग खड़े थे उस युद्ध में, गीता का ज्ञान सिर्फ अर्जुन को मिला था,
क्योंकि वह सब कुछ जानने की इच्छा रखता था,
इसलिए अर्जुन के लिए है गीता ।।

जो खुद को जाने, जो दुश्मन को भी जानने की इच्छा रखता हैं,
जो यह भी जाने कि दुश्मन बाहर नहीं मन के भीतर भी है,
जो उस मन का आंकलन करें
उसके लिए है गीता ।।

योद्धाओं के लिए हैं गीता,
जिसके सामने बहुत बड़ा लक्ष्य हो उसके लिए है गीता,
जो जीवन में विकट स्थितियों में पड़े हो,
जिनमें बड़ी चुनौतियां उठाने का दम हो,
उस एक अर्जुन के लिए है गीता।।

दुनिया उल्टी है, बाहर बल नहीं भीतर प्रेम नहीं,
अर्जुन अति विराल, बाहर आती बलिष्ठ,पर भीतर से कठोर नहीं,
जो इस समझ के लायक हो उसके लिए है गीता ।।

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5 DEC 2022 AT 13:39

ना जाने कितने अंधविश्वास, रीति रिवाज रचे,
क्योंकि हमारे अंदर ही बसते है खोट।।
हमारे भीतर जो मान्यताएं बसती है,जो धारणाएं चलती है,
गीता करती है उस पर चोट।।

हमें किस्से कहानियां पसंद है, नही पसंद है गीता का ज्ञान,
हमें वृदावन के कान्हा पसंद है,नही चाहिए कृष्ण के कुरुक्षेत्र का संज्ञान।।
जो रूप प्रचलित है श्री कृष्ण का वो कृष्ण है किस के,
जो रूप प्रचलित है श्री कृष्ण का वो गीता के नही, वो कृष्ण है राधा के ।।

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