गीता को पढ़ा नहीं जाता,
गीता को पाया जाता है,
जो लायक हो इसके, उसके लिए है गीता।।
कोई नहीं जो धर्म संकट में ना पड़ा हो,
ऐसा कोई नहीं जो कुरुक्षेत्र में ना खड़ा हो।।
पर कोई नहीं जो अर्जुन सा लड़ा हो,
जो लड़ा है, उसके लिए है गीता।।
लाखों लोग खड़े थे उस युद्ध में, गीता का ज्ञान सिर्फ अर्जुन को मिला था,
क्योंकि वह सब कुछ जानने की इच्छा रखता था,
इसलिए अर्जुन के लिए है गीता ।।
जो खुद को जाने, जो दुश्मन को भी जानने की इच्छा रखता हैं,
जो यह भी जाने कि दुश्मन बाहर नहीं मन के भीतर भी है,
जो उस मन का आंकलन करें
उसके लिए है गीता ।।
योद्धाओं के लिए हैं गीता,
जिसके सामने बहुत बड़ा लक्ष्य हो उसके लिए है गीता,
जो जीवन में विकट स्थितियों में पड़े हो,
जिनमें बड़ी चुनौतियां उठाने का दम हो,
उस एक अर्जुन के लिए है गीता।।
दुनिया उल्टी है, बाहर बल नहीं भीतर प्रेम नहीं,
अर्जुन अति विराल, बाहर आती बलिष्ठ,पर भीतर से कठोर नहीं,
जो इस समझ के लायक हो उसके लिए है गीता ।।
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