इश्क़
ना कोई ख्वाहिश ना कोई क़सम है ,
तुम्हीं से इश्क़ तुम्हीं से ज़ख्म है ।
ये दिल के ज़ख्म कैसे छूटते है ,
लोग इश्क़ करके क़ैसे भूलते है ||-
सब कुछ तो है मेरे पास पर फिर भी न जाने क्यों तुम्हीं को चाहते हैं।
आते,जाते,सोते,जागते हमेशा क्यों तुम्हीं को पाते है,
सोचते है भुला दे,पर न जाने क्यों दुआ में भी तुम्हीं को मागते हैं॥
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न जाने कैसा रिश्ता कैसा सितम् हुआ है
न चाहते हुए भी ऐसा सितम् हुआ है
जिन ख्यालों को खो दिया अर्सो पहले
उन्हीं ख्यालों का मन में भ्रम हुआ है-
यू तो नहीं कोई रिश्ता ,
पर न जाने क्यों मुलाक़ात बार बार होती हैं।
मैं तो जानता नहीं उसे
पर न जाने क्यों उसकी यादे धारदार होती है ॥-
दोस्ती में दोस्त ही दोस्त का ख़ुदा होता है।
एहसास तो तब होता है जब दोस्त दोस्त से जुदा होता है ॥
Miss You brother ❤️-
हमने तो अपने नाम से पहले रख दिया उनको
पर उनका क्या बताए
मेरी आँखो का आँसू देख उन्होंने पूछा
क्यो क्या हुआ आपकी आँखो से पानी क्यों आयें😭-
क्या कहेंगे लोग क्या करेंगे लोग,
इस बात की परवाह न करो।
मन से लगो और तन से लगो,
लोगों से अपनी पहचान छीन के रुको॥
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