क्यूं खुद पर इतना इतराते हो अभी
जमाने की नजर में बड़े गाफिल हो तुम-
समझ सको तो समझ जाना मैं गहरे जज़्बात लिखता हूँ
इस बंद कमरे मे क्या सोचते हो
ख्वाबो को क्यू बार बार टटोलते हो
हाँ, माना कि परेशान हो पर
क्यू उम्मीदो के जाल के नीचे
अपनी शख्सियत का दम घोटते हो
देखो हर एक परेशानी का हल निकलेगा
और तू भी एक दिन इस भीङ से
अलग चमक निकलेगा।-
ख्वाहिशे तो हजारो है मगर
उन ख्वाहिशो के पीछे दबी उस
शख्सियत से भी कभी मुलाकात करो...-
मुलाकातो के इस दौर मे
कभी खुद से भी मुलाकात कीजिए
ख्वाहिशे तो हजारो है पर उन
ख्वाहिशो के पीछे दबी;शख्सियत
से भी कभी मुलाकात कीजिए।-
यायावर जिंदगी में ,हर एक पल मेला है
फिर भी यह दिल ,हमेशा ही अकेला है ।-
अल्फाज तो बोहत है लिखने को पर
उन अल्फाजो को समझने वाले
जज्बात तो हो किसी मैं?-
लेकिन पढ़ाई लिखायी करके एक विधार्थी को खुद के लिए क्या हासिल होता है शायद आपका जबाब होगा समाज में मान प्रतिष्ठा, धन -दौलत इत्यादि. लेकिन यह सब कब हासिल होगा जब वो इस पढ़ाई के बलबूते सफल होगा तभी नहीं तो उस पर एक और नया टैग लगा दिया जाहेगा पढ़ा लिखा बेरोजगार या पढ़ा- लिखा मुर्ख, मूर्ख इसलिए कि इतनी सारी पढ़ाई करके भी वो सरकारी नौकरी नहीं लग पाया सही में आज के इस प्रगतिशील दौर में पढ़ाई का मकसद सिर्फ सरकारी नौकरी लगना और रूपये पैसे कमाने तक ही सीमित हो गया है उसे बचपन से ही पढ़ाई कि यही परिभाषा बतायी जाती है कि उसे पढ -लिखकर सरकारी नौकरी लगना है और पैसे कमाने है कोई उसे यह नहीं कहता कि पैसे तो अलग पहलू है पढ़ाई का सही मायने में उद्देश्य तो उसका सर्वागीण विकास करना है और उसकी मानसिक शक्ति को नयी दिशा और दशा प्रदान करना है ताकि वो भी अपने जीवन के अर्थ को कुछ समझ पाहे ❤️
-