होली में रंग बिखर रहे,
सड़कों में शोर- सराबा है।
मैं बैठा हुआ हूं, कमरे में तन्हा,
तेरी होली खेलते हुए, तस्वीरों का ही सहारा है।
तू आए रंग लगाए
बस एक यही ख्वाहिश लगा रखा हूं
मेरे इस चेहरे में, फिर वही,
होली की एक नकली मुस्कुराहट बना रखा हूं
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हम नदी जैसा बह जाना चाहते थे तुम्हारे प्यार में.....
तुमने हमारे प्यार में ही डैम (बांध) बना दिया!!!-
ख्वाब बड़े देखो तो बाधाएं भी बड़ी मिलती हैं,
आसमानों में ऊंचा उड़ो तो हवाएं भी बड़ी मिलती हैं!!!
सबको साथ लेकर आगे बढ़ कर तो देख,
सुकून के साथ-साथ, दुआएं भी बड़ी मिलती हैं!!!-
रास्तों पर पत्थर थे, तुमने तो किनारों को ना कह दिया,
लोग आए तुम्हारी तरफ, तुमने तो सहारों को ना कह दिया!!
अब पूछ बैठे भगवान से, क्यों मदद नहीं की हमारी,
उन्होंने कहा तुमने तो, सारे ठिकानों को ना कह दिया!!!-
खामोशी एक खंजर है,
बोलो और तोड़ दो उसे !
चलो हमारे साथ महखाने,
पियो और छोड़ दो उसे !-
इन यादों के सिलसिलो में,
अब भी तुम्हारी यादें हैं !
कोशिश की मिटाने की हमने,
जो है सब तुम्हारी हैं !
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फिर कभी मिलना हुआ तुझसे,
तो मैं तेरे सामने से गुजर जाऊंगा !
फिर मत मिलने आना मुझसे,
बहुत मुश्किल से संभाला हूं फिर बिखर जाऊंगा!-
घर की राहों को छोड़कर
नुकीले पत्थर हटाने निकले
हाथों के छालों से मुंह मोड़कर-
जिंदगी के जाल में ,
फस गए उसके चाल में ,
ना जाने कैसे जंजाल में ,
वो तो चली गईं ...
अब नजर भी नहीं डालेंगे शहर की माल में !!!-