Sanjay (Jaipur)   (Umar jahaan)
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Joined 31 July 2019


Joined 31 July 2019
11 MAR 2022 AT 13:04

उसकी शायरियों मे
वो बात नहीं होगी
जिसने तुझे
देखा नहीं होगा अब तक |

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6 MAR 2022 AT 13:43

लोग यूँ ही पागल हैं महताब देखकर
हमने आँखें सँवारी हैं ख़्वाब देखकर |

जिससे बच बचकर निकलता था मैं
फिर तुम्हारी याद आयी गुलाब देखकर |

हमने गुजारी इक उम्र मुफ़लसी में
फिर अमीर होते गए ईमान बेचकर |

दो दिन ही सही दिखावा तो करते
परेशां तुम लगते नहीं मिज़ाज़ देखकर |

तुम थे की तुमसा कोई और था
मैं हैरान हूँ तुम्हारे जवाब देखकर |

उसने भी तो चाहा था बेइंतेहा मुझे
लौट आएगा किसी दिन शाम देखकर |

इश्क़ भी कोई सिद्दत ही हैं "जहान "
मुझे समझ आया हैं नमाज़ देखकर |

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3 MAR 2022 AT 9:34

मत देना तुम अब दोष कभी खुदको
तेरी मजबूरियां ये शख्श समझता हैं |

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2 MAR 2022 AT 11:53

ऐसे कहां तेरा ये रंग निकलता हैं
यक़ी तो मुश्किलों में बिखरता हैं |

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25 FEB 2022 AT 12:59

ख़ूबसूरत हो ,
सीसे लगाते घरों में
आपने भी क्या
ये दीवारे बनवा दी |

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23 FEB 2022 AT 12:09

अब मत जाना मिलने उसको
वो तुम्हें भूलने की कोशिश में हैं |

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22 FEB 2022 AT 9:22

तुम सालों बाद आते हो
कहते हो हम बदल गए |

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21 FEB 2022 AT 8:34

कुछ रिश्ते
जैसे सदियों से
चले आ रहे हैं ,
कुछ रिश्ते
जैसे सदियों चलेंगे |

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19 FEB 2022 AT 19:29

दोनों तरफ़
खामोशियाँ हैं
तो आदतन
ये कोई किस्सा हैं ,
ग़र दरमियां
था ही नहीं कुछ अपने
तो ये नफ़रत किसका हिस्सा हैं |

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17 FEB 2022 AT 8:09

दिल दिल लगने लगा हैं
जबसे तू मिलने लगा है |

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