कुछ संबंधों का कोई भविष्य नहीं होता ,ये मात्र स्मृतियों के रूप में साथ रहने के लिए ही जीवन में आते हैं।
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माता और मातृभूमि का स्थान स्वर्ग
से भी ऊपर है।"
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वह मेरा अपना है,
जिसका सृजक मैं हूँ,
वही मेरा सपना है।
हर साँस में बसी जो,
मेरी वो कहानी है,
जो मैंने रची खुद, वो
मेरी निशानी है।-
दुनिया रंग-बिरंगी, जीवन का मेला,
खुशी-गम का संगम, चलता ये खेला।
हर पल नया सबक, सपनों का पीछा,
इंसानियत से बंधा, ये अनमोल रिश्ता।-
"Knowing your worth empowers you to set boundaries, make choices aligned with your values, and attract people and opportunities that respect you. You stop settling for less, build confidence, and prioritize your well-being, fostering healthier relationships and a stronger sense of self."
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सपनों का आँगन सजाना है,
हाथों में हाथ लेकर चलना,
जहाँ सूरज भी मुस्कुराना है।
दिल की बातें सुनाऊँगा,
चाँदनी रात में गाऊँगा,
तेरे लिए एक गीत लाऊँगा।
ज़िंदगी में रंग भर दूँगा,
दुखों को हंसी में बदल दूँगा,
तेरे साथ हर पल जी लूँगा।-
**प्रकृति का प्रतिशोध**
विकास के नाम पर, इंसान ने छेड़ा जंगल,
पेड़ काटे, वनस्पतियाँ उजाड़ी, बस्तियाँ बनाई मंगल।
जानवर बेघर, चीत्कारें गूँजी, आकाश रोया,
प्रकृति की गोद में, बस लालच ने संताप बोया।
कंक्रीट के जंगल उभरे, धरती का सीना चीरा,
नदियाँ सिसकीं, पहाड़ थरथराए, जीवन का आधार धीरा।
फिर प्रकृति ने आँखें खोलीं, लिया प्रतिशोध का रूप,
बाढ़, भूस्खलन, दावानल बने, उसका क्रोधित स्वरूप।
बाढ़ ने बस्तियाँ डुबोईं, लहरों ने सबक सिखाया,
भूस्खलन ने चेताया, पर्वत का दर्द सुनाया।
दावानल ने लपटें बिखेरीं, राख में सपने जलाए,
इंसान की लिप्सा पर, प्रकृति ने प्रश्न उठाए।
अब भी वक्त है, ऐ इंसान, सुन ले धरती की पुकार,
विकास नहीं, संतुलन चाहिए, प्रकृति का रख सम्मान अपार।
रोप दे पेड़, बचा ले जीवन, हरियाली को गले लगाओ,
वरना प्रकृति का यह क्रोध, सदा तुझे सताएगा, डराएगा।-
न तूफानों से डरती है,
न रात के साये से सहमती,
बस हर सुबह,
मेरे दरवाजे पर,
एक नई कहानी लिखती है।-
अपने प्यार को,
सच्चाई की कसौटी
पर लाती है दिल
के यार को।
हर इम्तिहान में साथ
निभाए जो वफ़ा,
वही है सच्चा प्यार,
जो बने ज़िंदगी का
सफ़र का रास्ता।-
ना जरूरत हो...
ना जरिया हो तुम...
जिसे देखकर दुनिया
खूबसूरत लगे...
वो नजरिया हो तुम.!!-