कंगूरे गगन चूमते नींव छुपी पाताल में
अक्सर यही होता है दुनिया के जाल में
दिखता कुछ और है सच्चाई कुछ और
भेड़िये छुपे हैं यहां पर शेर की खाल में-
Sanjay Gangwal
(संजय गंगवाल)
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64 साल का हैंडसम एंग्री ओल्ड मेन
Joined 11 May 2020
2 HOURS AGO
6 HOURS AGO
मौन में भी कहीं छुपा हुआ है भारी भरकम शोर
जैसे कि बादल गरज रहे हों दूर कहीं किसी छोर
पतझड़ में जमीन सूखी जैसे सूरज का हो क्रोध
सावन को आ जाने दो तो बादल बरसेंगे पुरजोर
मुस्कान हंसी ठहाके खुशियां गुम हुए जैसे कहीं
अवसर पाकर चुरा ले गया था कोई शातिर चोर
कोमल ह्रदय मृदुल स्वभाव जाने कैसे बदल गया
समय गुज़रते देर ना लगी हो गया लौह सा कठोर
मौसम के संग बदलता गया और बीत गया जीवन
कभी सिंह जैसा दहाड़ा भी कभी नाचा जैसे हो मोर-
2 JUL AT 21:07
किसी ने नज़र अंदाज़ किया कोई आंखें चार कर बैठा है
किसी ने पीठ पर मार दिया कोई खंजर पर धार कर बैठा है-
2 JUL AT 20:52
भरोसा कांच का बर्तन है
बहुत संभाल कर रखना चाहिए
एक बार खरोंच भी आई तो
फ़िर कभी पहले जैसा नहीं होता-