यकीन आज भी नहीं की वक्त बदल गया, जी तो रहे है हर दिन पर वजूद मिट गया।। खुद को ढूंढ पाए शायद उन पुरानी यादों में, मुमकिन वो भी नहीं अब मेरा घर बदल गया।।
मेरे गम मुझे आकर गले से लगा लेते है मैं रो दू अगर तो नए पुराने सब आ जाते है इतने अपने तो यकीनन मेरे अपने भी नहीं है जितना मेरे बार-बार करीब ये गम आ जाते है।।,
अपनी मोहब्बत की पाबंदियां तुझ पर लगायेंगे ज़रूर है जो हक मेरा तुझपर तो सारे हक अपने जताएंगे ज़रूर जहां इश्क में हारे उसी मोड़ पर बिछड़ जायेगे तुमसे है जो भी कहानी हमारी अंत तक तो साथ निभायेगे ज़रूर....
Nowadays I am afraid of being alone. I want someone to be by my side always. By the end of this calendar year, I have ended many of my contacts. Now it's only a few and I want so badly that I put myself through a lot of trouble just to keep in touch with them.
क्या गलत होगा कि मैं दोबारा ये दिल न लगाऊं किसी का एतबार ना करूं कभी फिर इंतजार ना करूं।। ना जानें इजहार उनसे होता नहीं या इकरार ही नहीं उलझी रहने दूं ये जिंदगी या सुलझाने का इंतजाम करूं।।