मेरे ख्वाबों की मंज़िल मुझे कहाँ ले आई है
जो की थी मोहब्बत शायद उसकी सज़ा पाई है-
मौका मिलेगा तो पूछेंगे कमियां अपने इश्क़ की
फिलहाल मजबूरियों की कतार में है किरदार मेरा...
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"मेरे ख्वाबों ने तेरी एक तस्वीर बनाई है
बनाकर बिगाड़ी और फिर संवारी है
कुछ ख्वाहिशों के सिलसिले अभी अधूरे हैं
वरना हमारी किस्मत में कहां जुदाई है"
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हम पल पल उस पल को तरसे है
तेरे साथ होकर भी तेरे साथ को तडपें है
जो मोहब्बत ढूंढ रहा था तू ज़माने में
हम अपने साथ लेकर तेरे पीछे पीछे घूमे है-
खुबसूरत फूलों का गुलदस्ता दिल में लगा कर चले थे
बेवकूफ़ थे, एक बेवफ़ा इंसान पर ऐतबार करने चले थे...-
"चेहरे पर तेरे ये मायूसी क्यूँ है?
जब सब ठीक है तो खामोशी क्यूँ है?"
मलाल है कुछ पुरानी बातों का.!!
जो नहीं तो आँखों में नमी क्यूँ है??-
तय बेवफ़ा की कोई मूरत नहीं है
मोहब्बत में महबूब सी कोई सूरत नहीं है
पाबंद हो जाती हैं आँखें एक तस्वीर पर
मिले इबादत सबको, ऐसी सबकी तकदीर नहीं है
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अंधियारे से उस गलियारे में
हमें डर है कहीं खो न जाएँ
ढलने देते हैं रात को इंतज़ार में
जब तक दिन का उजियारा हो न जाए।-
कोई दिला दे माफ़ी उनसे, ताउम्र उनका अहसान मानूंगी
यकीन है, मेरा हाल देख कर भुला देंगे वो मेरी हर गलती...
वादा रहा मैं फिर लौट कर नहीं आऊंगी, अपनी शक्ल भी न दिखाऊंगी
मुमकिन होता तो मर ही जाती, उनकी बद्दुआ लेकर मैं जी नहीं सकती..
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ये श्रृंगार ये कुमकुम जंचता है ना तुम्हें
पैरों की बेड़ियों पर भी नज़र डालो ज़रा.....
ख़ुद से भी नफ़रत हो जाएगी तुम्हें
सब नया है अभी, वक़्त गुज़रने दो ज़रा...-