2 JUN 2018 AT 15:48

कब तक यूँ बिखर कर , समेटते रहेंगें । कब तक यूँ चल कर , मंज़िल तलाशते रहेंगे ।। कब तक यूँ सह कर , हँसते रहेंगे । कब तक यूँ मचल कर , फसते रहेंगे ।। कब तक यूँ फंस कर , चहकते रहेंगे । कब तक यूँ चह कर , मिलते रहेंगे ।।

- Dr.Sanjana Heda 'Sana'