ज़िन्दगी में कुछ पाने की अब हसरत नहीं है।
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Sanjana Heda
(Dr.Sanjana Heda 'Sana')
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Fiercely Independent Writer
Joined 12 November 2016
6 MAY AT 21:17
नए एक नज़राने से
रोज़ हम मिलते।
कभी किसी राह में,
तो कभी किसी चाह में,
चलते, गिरते रहते है,
संभल कर उठते, बैठते रहते है।
ज़िंदगी तेरे लिए,
खुशी के सावन की तो कभी
ग़म के बादलों की स्याही से
हर पड़ाव की बंदिशें बनाते रहते है।
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13 JAN AT 0:20
ख़्वाब
हकीकत में तब्दील होने की
बुनाई में लगा हुआ था
मगर
सुबह होते होते
धागे कुछ एक
खुलने लगे थे।
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