कल के मिले और जिक्र यादों का कर बैठे,
हर आरजू से गुफ्तगु कर ली मुलाकात खुद से कर बैठे,
अफसाना नही जिंदगी की तराजू से तोल बैठे,
यह कोशिश दर्द को उजाले की और मरहम चांदनी का लगा बैठे,
दबा-दबा सा कोई आया की रंग बाहों में ले बैठे ,
अभी वक्त है आरजू का की शामियाना रंग इजहार कर बैठे,
इजाजत है तेरे नूर को की अब चलती नही मोहब्बत कागज़ से आसान है वो राह जो मोहब्बत से मोहब्बत कर बैठे...
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