Sanidhya Mangal   (Sani)
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Joined 3 June 2019


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3 AUG 2022 AT 9:43

चलो इस इश्क की किताब अब बन्द करते हैं,
हमारी कहानी यहीं तक थी क्यु ना,
इस कहानी को अब खत्म करते हैं.....


- Sunil Yadav

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4 JUN 2022 AT 11:51

बादलों से छुपाकर लाया हूँ चाँद मुताबिक
कल शाम मेरे यार ने बहुत पी ली थी,
तवज्जों देता हूँ तो रह जाती है थोड़ी खुमारी
कल शाम दिल से दिल ने बात कि थी,
यूँ हि नहीं बैठते तेरे पास तू एहसास है
कल शाम हमने मैं से तौबा कर ली थी,
जुबां शातिर दर्द झलकने नहीं दिया
जो रंग गर्दिश मे मिले उनसे बेवफाई कर ली थी,
टूट के बिखरे मोती मानो अपने वजूद को ढूंढ रहे
हमने आपसे और आपकी रूह से दोस्ती कर ली थी,
फुर्सत मे जवाब मांगने गए अपने हि घर कि दीवारो से
कहा आप हि बताए जो बात हमने आपसे जान ली थी....

- Sanidhya Mangal

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19 MAR 2022 AT 12:16

जिनका सुकून ही जाने में था
वो भला रूक कर क्या करते ?

-हर्ष सिनोरिया

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25 JAN 2022 AT 19:26

प्यार करना सीखा है नफरतो का कोई ठोर नहीं,
बस तू ही है इस दिल में दूसरा कोई और नहीं……

-P Sharma

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9 DEC 2021 AT 23:24

कल के मिले और जिक्र यादों का कर बैठे,
हर आरजू से गुफ्तगु कर ली मुलाकात खुद से कर बैठे,
अफसाना नही जिंदगी की तराजू से तोल बैठे,
यह कोशिश दर्द को उजाले की और मरहम चांदनी का लगा बैठे,
दबा-दबा सा कोई आया की रंग बाहों में ले बैठे ,
अभी वक्त है आरजू का की शामियाना रंग इजहार कर बैठे,
इजाजत है तेरे नूर को की अब चलती नही मोहब्बत कागज़ से आसान है वो राह जो मोहब्बत से मोहब्बत कर बैठे...

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1 OCT 2021 AT 22:42

घास पर रख दी जिंदगी क्यू प्यासा इंसान
फूलों से चुरा के महक क्यू परेशां इंसान
दिया और बाती का संगम फजल क्यू बैठा इंसान
बेवजह तकलीफ ढूंढता क्यू हैरान इंसान
रंगीन होती फिकर फकीर बन बैठा इंसान
तीर का तांबा छोटा फिर भी हाथो में तीर कमान
जीना है उसे वो जीने को परेशान
कैसा है विधान कर्जदार है इंसान

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23 SEP 2021 AT 20:19

Tumse naraz hoke ham jayenge kha .. Tumhare jesa dost ham payenge kha ... Khushnaseeb h ham jo ese dost mile.... Varna bada matlabi h ye jha 🤟🏻.....

~P Sharma

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1 JUL 2021 AT 23:03

हूं तो शायद तेरा अक्ष बनके
बहु में तेरा बहार बनके
कर्ज हु तेरा वो हिसाब बनके
काग़ज़ कलम और दवात बनके
रूह से तेरी रुखसार बनके
साथ हु तो दीदार बनके
करदे अब हिसाब कर्जदार बनके
लोटा हु तेरे आशियाने में कोई हार बनके
ये मुलाकात है तेरी मेरी यादगार बनके

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27 JUN 2021 AT 14:06

माना कि तुमसे दूरियां कुछ
ज्यादा ही बढ़ गयी हैं..
पर तुम्हारे हिस्से का वक्त आज
भी तन्हा ही गुजरता है...
~अनजान

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19 JUN 2021 AT 20:45

यदि पेड़ो से वाई-फाई के सिगनल मिलते तो हम खूब पेड़ लगाते..
अफसोस कि ये हमे ऑक्सीजन देते है जो महज जीने के काम आती है...

~अनजान

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