निडर रहो, अविचल रहो ,
आए कोई बाधा, या सामने तूफान हो,
धीरता व शूरता वीर का प्रमाण हो ,
लंबी है डगर तो हो ,फैली है अनल तो हो,
इस अंगार पथ पर तेरा,हर कदम प्रगाढ़ हो,
वीर तेरी गर्जना का, नाद चारों और हो,
करवाल के वेग से, शत्रु को ना ठौर हो,
सिंदूर जब भी भंग हो, लहू का लाल रंग हो,
संपूर्ण रिपुदमन ही, तुम्हारा केवल एक जवाब हो ।।-
मतलबी दोस्त:
उस दिन जरा बाज़ार जा रहे थे,
बस ऐसे ही तफ़रिया रहे थे,
तभी किसीने पीछे से पुकारा,
बोला अरे, कहाँ जा रहे हो यारा,
हम बोले, अरे आपको पहचाना नहीं ,
धुंधला याद है, पर ठीक से जाना नहीं,
अरे भूल गए हम तो तुम्हारे यार 'मतलबी',
ईद के चांद से दिखाई देते हैं कभी-कभी,
हमने पूछा आज कैसे रस्ता भूल गए,
गफलत में हो, या बेवजह मशगूल हुए,
बोले मतलबी, हमारी फ़ितरत तो तुम जानते हो,
इतने सालों से दोस्त हो अब तो पहचानते हो,
संग्राम, फिर तुमसे काम आन पड़ा है,
तभी तो प्रेम का ये नाता जुड़ा है,
यार मतलबी, तुम भी ग़ज़ब करते हो,
जरूरत हो ग़र, तभी दिखते हो,
वो ज़रा मतलबी से हँस दिए,
हम लगे हाथ पतली गली खिसक लिए,
चाहे दुश्मन को ही गले लगाएं,
पर इन मतलबी दोस्तों से भगवान बचाएँ 🙏।।-
वक्त, अच्छा हो तो एक सपना,
वक्त, बुरा हो तो ख्वाब डरावना,
वक्त, साथ हो तो ज़िंदगी बदल दे,
वक्त, साथ ना दे तो आरज़ू मसल दे,
वक्त, आरम्भ हो तो पंथ हज़ार खोल दे,
वक्त, अंत हो तो अलविदा यूँही बोल दे,
वक्त चलता जाए तो बहार है गुलज़ार है,
वक्त रुक जाए तो प्यार का इज़हार है,
वक्त-वक्त की ही तो बात है,
वक्त ही तो बस नहीं हाथ है ।।
-
अहिंसा...
एक छद्म आवरण,
एक जीर्ण अवधारण,
एक हार की दिशा,
एक निरीह जीवीशा,
नेताओं के लिए बस मौके का शब्द,
मुंबई जैसे, जब वो हो जाते हैं स्तब्ध,
क्यूंकि अगर अंहिसा चाहिए,
तो मन से हिंसा भगाओ,
सिर्फ मनुष्यों से नहीं,
प्राणियों से भी स्नेह जताओ,
जो महावीर ने दिया,
वो संदेश अपनाओ,
शुद्ध विचार, शुद्ध आचार,
सर्वशुद्ध को गले लगाओ ।।-
ज़रा खोलो तो साहेब,
आएगी खुशहाली घरद्वार,
सब्र से काम तो लो साहेब,
हल निकलेगा मुश्किलों का ज़रूर,
कुछ दिल से बोलो तो साहेब,
आपकी मुस्कान के सदके हज़ार,
हंस के आप जो ले लो साहेब,
यूँही रहो सदा मुस्कुराते,
इतना रंज ना लो साहेब ।।-
कुछ तुमने कही, कुछ मैंने कही,
बस चार लफ़्ज़ों,की तो ये बात है,
कुछ तुम चले, कुछ हम चले,
चार कदम की तो बस मुलाकात है
कुछ तुम हंसे, कुछ हम हंसे,
चार कहकहों की बस यही सौगात है,
चार लोग क्या कहे, चार लोग क्या सुने,
बस उन चार लोगों की पहचान की दरख्वास्त है!!🤔🤔-
जैसे चंद्रकौंस दिया किसी ने छेड़,
कुछ आह ऐसी थी छोडी,
जैसे बजी मियां की तोडी
वो सुनसान राह कह रही,
चले चल अरे सिंधु भैरवी,
बयार कुछ उस दिन ऐसी चली,
मानो मन गाए शुभपंथुवरली,
पर कभी बहार आएगी वापिस,
जिंदगी मल्हार गायेगी वापिस,
बस धीरज धार, बांध ढाढस
मुश्किल है डगर, पर नहीं मालकौंस ।।-
मर्यादा के प्रमाण तुम,
पाप के विनाश को,
धर्म रक्षक त्राण तुम,
अधर्म के प्रयास को,
बेधते अचूक बाण तुम,
रीति नीति संपालक,
अजेय तुम, महान तुम,
पुरुषोत्तम शूरवीर,
त्रिलोक त्राता मानवाकार तुम,
तुम्हीं बसे हो रोम-रोम में,
राम हमारे प्राण तुम। ।-
रस्ते कहीं नहीं जाते, जाते हैं तो सिर्फ जाने वाले
ओ राही, चल बढ़ अपनी मंज़िल को पा ले
आएगा पहाड़ भी, बर्फ का तूफ़ान भी
पथरीले रास्ते मिलेंगे, घोर बियाबान भी
पर तू पक्के इरादों से, अपनी डगर बना ले
होगा कभी सूरज का दंभ, कभी कोहरा अंतरंग
कभी मिलेगी बरखा रिमझिम, तो कभी तारों का संग
पर तू ओढ़ के चादर नभ की, सपनों का शहर बसा ले
मदमस्त धरा ,कलकल नदी ,कहकहे लगाता बवंडर
सागरमाथा का भाल, तुझे ललकारता निरंतर
बांध कमर, प्राणवायु भर, तू उस ऊँचाई को पा ले
रस्ता रहेगा वहीँ, पर तू अपने कदम बढ़ा ले
चूमेगी कदम सफलता, तू बस चल मतवाले, निराले!-
ये जिंदगी तो बस फारुख है,
और है...
नौजैदा की चंचलता सी,
जवानी की अल्हड़ता सी,
दरमियानी की तत्परता सी,
उम्र रशीदा इल्म पुख्ता सी,
ना सुख है ना दुख है ,
ये जिंदगी तो बस महरुख है,
और है...
तारों की शीतलता सी,
सूरज की आतुरता सी,
गिरी विशाल की स्थिरता सी,
सागर की व्याकुलता सी,
ना सुख है ना दुख है,
ये जिंदगी तो बस शाहरुख है,
और है...
अभिमन्यु की वीरता सी,
पुरुषोत्तम की धीरता सी,
योगीराज की गीता सी,
कर्ण की दानवीरता सी,
ना सुख है ना दुख है,
जिंदगी तू जो चाहे वो रुख है !-