मुझे पता ही ना चला ,
कब तुम्हे ना चाहते चाहते ...तुम मेरी चाहत बन गए।
मेरी हर एक आरजू, मेरी जस्बात बन गए ।
मुझे पता ही ना चला ,
कब तुमसे बात ना करने की कोशिश में,
तुम मेरी हर एक बात मैं सामिल हो गए।
तुमसे सारे खुशी हासिल हो गए ।
मुझे पता ही ना चला ,
तुमसे दूरियां बढ़ाते बढ़ाते
कब तुम्हारे इतने पास होगयि ....
सारी दुनिया से दूर हो गई।
खुद से खुद को मुलाकात हो गईं।
मुझे पता ही ना चला ,
जिस सुकून को मे नजाने कब से ढूंढ रही थी ,
तुम्हारी मौजूदगी से वो सुकून मिलने लगी।
आज तक जो बिखरी हुवी थी में,
तुम्हारे वजह से अब संभलने लगी।-
Ek daur gujara Gaya
Akele chalte chalte....
.
.
.
Ye daur bhi gujar hi jayegi-
जानती हूं खता हमसे हुई है,
जो प्यार तुमसे हो गयि है।
तुम्हारे इनकार से दिल
तड़प तड़प कर रो रही हे।
तुम्हारे साथ बीते वो हसीन पल
एक ख्वाब ही था, जो टूट गया
मेरे दिल की बातें जानकर
तू हमेशा के लिऐ रूठ गया ।
तू मुझसे दूरियां बढ़ाने लगा
मिन्नते अब ना कोई काम आयि ।
मेरे जिंदगी में तेरे ना होने से
में तो जीते जी मर गयि
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Jaanti hun...sabse jyada dard tumse hi melegi.....
Par sabse jyada pyaar tum se hi huwa hai..
Dimag keh Raha hai...ye sab kuchh pal ki fitur hai...
Par Dil jaanta hai ki ...yehi majobatt ki dastur hai.-
Jo khas thaa...wo ab pass nahin
Kitni bechain hun me...
usko ye ehsaas nahi.
Haalat Jo ho Jaye sahi...
Wo miljaye Jo mujhko bhi kahin..
Waqtse chhinlu...
Jane dun na fir kahin.
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तुम जितना भी झुकाने की कोशिश करलो..
मै आसमान तक उड़ान भरूँगी..
मुझे रोकने की तेरी ये जो चाहत है...
उसीसे मै अपनी हौसला भरूँगी।
Happy womens day-
Don't be influenced by any one...
Up to that much,
That you will lost your
Originality— % &-
ଯେଉଁ ବ୍ୟକ୍ତି ନିଜ ସ୍ତ୍ରୀ ଙ୍କ ଉପରେ ଅନ୍ୟାୟ ଅତ୍ୟାଚାର କରି ସ୍ତ୍ରୀ ଙ୍କୁ କଷ୍ଟ ଦିଅନ୍ତି, ଜୀବନର ଶେଷ ମୁହୂର୍ତ୍ତ ଯାଏଁ ସେହି ବ୍ୟକ୍ତି କଷ୍ଟ ଭୋଗ କରିଥାନ୍ତି।
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हर रोज मैं जंग पर जाती हूँ
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अपने आपको सावित करने की
जस्तोजः में, मैं खुद को भूल जाती हूँ,
फिर भी मिलती है रोज वही...
मेरी हौसले को तोड़ने वाली तानें...
मेरी कावीलियत पर सवाल उठाने वाली बातें।
जो रातको मुझे सोने नहीं देती है,
और फिर से सुबह उठकर...
काम पर जाती हूँ,
खुदको भुलाकर ..दूसरों की "अहम" को
संतुष्ट करने की चेस्टा करती हूं,
कहीं आज इस ऑफिस में ...
मेरा आखरी दिन तो नहीं है...
इस भय के साथ रहती हूं,
जैसे ऑफिस नहीं...
हर रोज मै जंग पर जाती हूँ।-
तो क्या बात होती....
तन्हाई ना यूँ मुझको जकड़ती,
यूँ सीने में दफन ना जज़्बात होती।-