पूरी दुनिया को साथ छोड़ने दो
अगर माँ-बाप तुम्हारे साथ हैं
तो समझो सिकंदर हो तुम..
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थी
जब सब से प्यार था,
अब हकीकत की उम्र हैं
जब कोई अच्छा नहीं लगता।।
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माँ हो तो लगता है घर अपना सा..
माँ ना हो तो लगता है सब एक भयभीत सपना सा..
माँ की तरह कोई सीने से लगाए तो ज़रा..
माँ की तरह प्यार से समझा कर कोई मुझे समझ पाये तो ज़रा..
माँ की तरह कोई मेरी मुस्कान के पीछे का दर्द समझ पाये तो ज़रा..
माँ की बराबरी कोई कर के दिखाये तो ज़रा..
माँ की कमी कोई पूरी करके दिखाये तो ज़रा..
माँ हो तो लगता है घर अपना सा..
माँ ना हो तो लगता है सब एक भयभीत सपना सा..-
तब खुद के साथ कुछ पल बिताये...
यकीन मानिये खुद के साथ बिताये हुए पल
बहुत ख़ूबसूरत होते हैं।।
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बेवजह साथ निभाते हैं
वजह से साथ निभाने वाले अक्सर
साथ छोड़ ही देते हैं।।-
तुम्हें ना चाहना मेरे बस में नहीं अब,
या शायद...
मैं खुद ही अपने बस में नहीं अब"
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"तुम ज़रा-सा मुस्कुरा क्या देते हो,
कम्बख्त.. हम यहाँ पूरे बिखर जाते हैं"
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Kabhi humare bhi chehre par muskan hoti thi
Kabhi humari bhi alag pehchan hoti thi
Jabse gye aap mujhe chor kar..
Na vo muskan rahi..
Aur na vo pehchan..
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