वक्त बदला , हालत बदले
इंसान ने सारे रिवाज बदले
मशीनों की दुनिया में रहकर
तौर-तरीक़े हो गए मशीनी इनके-
इश्क़ की अनोखी दास्तान लिखती है गुलाब सजकर
महबूब के में बालों इश्क़ की शान बढ़ाती है गुलाब .!!-
सोचा था बहार फिर से आयेंगे
बागों में फिर से बहार छायेंगे
कलियाँ फिर से गुनगुनायेगीं
हवायें सरगम के सुर सजायेंगे
खामोशियाँ आवाज लगायेंगी
मोहब्बत फिरसे तुम्हें बुलायेंगी
मगर सोचा था हमने जैसा तुम्हें
वैसा कुछ हुआ नहीं रही तन्हाई
रही अधूरी ही मोहब्बत हमारी
बन गई अधूरे प्यार की कहानी-
चलो ख्वाबों की बस्ती में बनाये एक इक प्यारा सा संसार
होगी जहाँ खुशियाँ , होगी जहाँ प्यार ही प्यार , सुकून चैन
होगा कितना प्यारा सजीला हमारा संसार न होगा कोई ग़म
ना कोई फ़रेब ,ना कोई व्यापार जी लेंगे ज़िन्दगी दो पल ही
मगर सुकून से .!!-
ख्वाबों का क्या कभी पलकों पर सजते हैं
तो कभी टूट कर बिखर जाते हैं,
ख्वाबों के साथ मचलते अरमान कहाँ होते हैं
कभी पूरे टूट जाते है पल भर में ,
देखा था हमने भी कभी ख़्वाब किसी के साथ
अधूरे री रहे साथी का साथ छूटा ,
बिखर गए अरमान सारे , टूट गये ख़्वाब सारे
रह गए हम तन्हा आँसुओं के साथ .!!-
काँटों के संग रह कर भी
प्यार के गीत सुनाता है
सजकर महबूबा के जुड़े में
पागल प्रेमी को लुभाता है-
हमारे चाहत का फूल खिला आज हमारे आँगन में
मिली बेशुमार खुशियाँ मिल गईं जन्नत जमी पे-
कुछ मेरी कुछ तुम्हारी कुछ हदें हैं हमारी
हद में रह कर बेहद खूबसूरत है मोहब्बत
कुछ चाहत हमारी कुछ चाहते तुम्हारी भी
दिल से निभायें हम सुकून देती है चाहत
कुछ तेरी , कुछ मेरी हैं जाने कितनी बातें
दायरे में रहकर भी बेपनाह मोहब्बत है मेरी
यादों के गलियों में घूमती आज भी मैं तेरे
इंतज़ार में बैठी तेरे प्यार के हद में रह कर
कुछ यूँ ही चलेगा उम्र भर ये रिश्ता हमारा
मिले तो खुशनसीबी न मिले तो सिकवा नहीं-