सुबह का सूरज निकलता है
हर रोज़ एक नई उम्मीद नई
पहचान लिये —-
सुबह सुबह की पहली किरण
छू जाती है हृदय के कोने कोने को
प्रफुल्लित करती मन को —-
फूलों की महक लिए जब चलती है
शीतल पवन गुनगुनाती धूप में जैसे
सजाती नये सुर —-
याद दिलाती है हर रोज़ देखो कितनी
हसीन है ज़िंदगी इसे व्यर्थ में ना गवाँओ
करो कुछ ऐसा तुम्हारी पहचान बने —-
अपनी लगन मेहनत से तुम छू लो असमान
डगमगाने मत तो अपने कदम आगे बढ़ो
छा जाओ सारे गगन पे —-
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