sangeeta sinha  
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Joined 28 May 2019


Joined 28 May 2019
9 HOURS AGO

और कितनी बार लिखूँ तुम्हें
जितनी बार लिखती हूँ तुम्हें
हर बार तुम अलग नजर आते हो
कभी गीत कभी नज़्म कभी
कविता बन जाते हो तुम.!!

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12 HOURS AGO

कितना सुकून है तुम्हारे मखमली आगोश में जी चाहता है कि
यहीं ठहर जाए ये वक्त और इस पल का कोई हिसाब न हो

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14 HOURS AGO

उनके निगाहों से निगाहें उलझी ज़रूर थी
मगर हाल-ए-दिल सुनना मुमकिन न हुआ

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15 HOURS AGO

उतर कर देखो कभी मेरे दिल की गहराईयों में
तुम्हे तुम्हारी ही तस्वीर नजर आएगी,

देखना चाहो तो देख लेना तुम्हारी ही चाहत होगी
सुनना धड़कनें मेरी तुम्हारा नाम ही लेगी ,

माना नहीं चलता है कोई जोर मोहब्बत पर मगर
मेरी मोहब्बत तुम्हारे लिए ही है ,

अब तो हाल ये है कि बसर होती नहीं ज़िन्दगी मेरी
तुम्हारे ख्वाबों ख्यालों के बिना ,

समझ सको तो समझ लेना मेरी चाहत को हम तो
बस डूबे रहते हैं तुम्हारे खयालों में.!!

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17 HOURS AGO

तेरी यादों को बनाकर रौशनी सुबह की
रौशन कर लेती हूँ सबेरा ,
जी लेती हूँ चार पल सुकून के तन्हाई में भी
तुझे अपने पास पाती हूँ.!!

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13 SEP AT 16:09

ये बारिश और तुम्हारी चाहत दोनों ही एक जैसी है
दोनों ही मुझपर बरसते हैं बेशुमार मोहब्बत के साथ

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13 SEP AT 16:06

किसी के लिए कुछ कर नहीं सकते
तो किसी को नीचा दिखाना उचित नहीं
औरों पे उंगली उठाने वाले लोग ये नहीं
समझते कि बाक़ी की तीन उँगलियाँ
उनके तरफ़ ही होती है.!!

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13 SEP AT 11:59

मैं बूँद ओस की तू बारिश की पानी की तरह
चलो एक दूजे में घुल मिल जायें दो जिस्म
एक जान की तरह .!!

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13 SEP AT 9:52

सच में बहुत ज़िद्दी है नियति
जो करना है अच्छा बुरा कर गुजरती है

राजा हो या रंक देव हो या दानव
कोई भी इसके वार से बच नहीं पाया है

नियति का खेल ही था शिव ने
अपनी शिवा को खोया जल गई ज्वाला में

नियति के खेल अजब भी निराले हैं
कहीं ख़ुशी तो कहीं ग़म की बारिश करती है

कब अपना खेल खेल जाये ये कोई नहीं जानता
कभी कोई नहीं बचा इससे भविष्य में न कोई बच पायेगा

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13 SEP AT 4:27

आपका बहुत बहुत आभार
प्रिय मंच 🙏🏻💐💐💐

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