तेरी इन्हीं निशानियों को ढूँढते
आज आ पहुँची देखो मैं कहाँ
ना कोई साथी न सहारा फिर भी
दर ब दर ढूँढ रही तेरी निशानियां-
छोटी - छोटी खुशियाँ और प्यार का ये पल
चलो मिल बांट लें शायद कल हो न हो ये पल-
क्या वक्त था वो पहली नज़र का प्यार
छुप - छुप कर एक - दूसरे को निहारना
फिर शर्माना शरमा कर निगाहें झुकाना
बिन कुछ कहे बिन कुछ सुने प्यार करना
घंटों तक इंतज़ार बस उसकी एक झलक
उसे देखते ही दिल की धड़कनों का बेकाबू
पहली नजर का प्यार और उसका इंतज़ार
ऐसा होता है प्यार किसी के दिल में उतरना
उसकी बातें , उसकी परवाह और कुछ नहीं
मिले न मिले मगर इश्क़ होती है लाजवाब-
सात फेरे साथ वचन और अनकहे वादे ,
कहाँ तक निभा पाते छोड़ जाते हैं बीच सफ़र में !
बढ़ जातीं है मुश्किलें कोई साथ नहीं देता ,
तड़पाती रहती हैं काटने को दौड़ती हैं तनहाइयाँ !-
कुछ कहे अनकहे मोहब्बत में इक किस्सा हमारा भी था
अधूरी मोहब्बत , अधूरी ख्वाहिशें उम्र भर तड़पाती रही-
चाय के साथ जब होती है तन्हाई फिर तन्हाई कहाँ ही रहती
यादों में तुम हाथ में प्याली चाय की समाये रहते हो तुम हृदय में-
सुबह की शीतल हवा की तरह तुम समा जाते हो मुझमें कहीं
मलय वन की खुशबू सा तुम सुवासित करते मेरे तन - मन को-
बिखर गई कुछ ख़ुशियाँ कोरे पन्नों से
खो गए रास्ते जो तुझ तक पहुँचने की
मिला ना कोई राही राह में मेरे सफ़र में
हैरान सी मैं तन्हाई में खोती चली गई-
अभी तो शुरू हुई थी जिंदगी
अभी हमने ढंग से जिया भी नहीं था
कुछ वर्षों की ज़िम्मेवारियों के बाद
ख़ुद के लिए जीना था हमें एकदूजे के साथ
पीनी थी बैठ कर हमें सुकून से साथ
एक प्याली चाय बतानी थी तुम्हें दिल की बात
कुछ कहे अनकहे पल जो खो गए थे कहीं
आज जीना था हमें उन बीते पलों को एक साथ
मगर क्या कैसी नियति का खेल था चले गए
तुम छोड़ कर बीच सफ़र मे मिट गई सारी निशानियां
रह गई कुछ ख्वाहिशें अधूरी की अधूरी
जीने लगे हम मर भी न सके तुम और तुम्हारी यादें-