Sangeeta Sharma   (रितु शर्मा(एहसास दिल के))
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Joined 10 March 2020


Joined 10 March 2020
12 JUN 2023 AT 9:33

*इंडिया को भारत बनाना है*
मरणासन्न संस्कृति में नव चेतना का संचार करना है,
नैतिक मूल्य वाला जीवन फिर से जागृत करना है,
हां इंडिया को भारत बनाना है
भ्रष्टाचार,लोभ, मोह,काम पर अंकुश लगाना हैं,
बढ़ गई ईर्ष्या द्वेष कि आग को शांत करना है,
प्यार मोहब्बत एहसास वाला जीवन जीना है,
हां इंडिया को भारत बनाना है
आधुनिकता की होड़ में बढ़ रही नग्नता को ध्वंस करना है,
सादा जीवन उच्च विचार का नारा फिर से दोहराना हैं
मिलकर तिरंगे के मान सम्मान को बढ़ाना है,
इंडिया को भारत बनाना है
सबका सुख दुख अपना सुख दुख बनाना है,
गिर रहा शिक्षा का स्तर फिर से उठाना है,
मिठी भाषा सहजता सच्चाई ईमानदारी का पाठ सबको याद दिलाना है,
धर्म का वास्तविक ज्ञान सबको बताना है,
हां इंडिया को भारत बनाना है।।

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7 JUN 2023 AT 16:48

तुम वो खूबसूरत कविता हो
जिसे मैंने बरसों से
अपने ख्यालों में लिख रखा है,
अक्सर पन्ने पर उसे
लिखने से मैं कतराता हूंँ,
क्योंकि उस पर लिखे
शब्दों के भाव को बस मैं जानता हूंँ
तुम वो खूबसूरत कविता हो
जिसे मैं अक्सर गुनगुनाता हूंँ
इसके शब्दों को मैंने
ध्वनि रहित बना रखा है,
क्योंकि इनके शोर को
केवल मैं ही समझता हूंँ,
तुम वो खूबसूरत कविता हो
जिसे मैं अक्सर मन ही मन पढ़ लेता हूंँ।।





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23 MAR 2023 AT 19:11

कृष्ण का हाथ थामे मैं चलने लगी हूँ
अब तक तो मैं दौड़ रही थी अब थोड़ा थमने लगी हूँ,
देख तो कब से रही थी मैं अब थोड़ा समझने लगी हूँ,
कृष्ण का हाथ थामे मैं चलने लगी हूँ
अब तक तो मैं वाचाल थी अब थोड़ा मितभाषी हो गई हूँ,
खाने पर बिल्कुल ना था अंकुश अब थोड़ा अल्पाहारी हो गई हूंँ
जबसे कृष्ण का हाथ थामा है मैं मै ना होकर कुछ और हो गई हूँ,
अब तक तो जी रही थी केवल झूठ अब मैं यथार्थ में जी रही हूँ,
हां सच में कृष्ण का हाथ थामे मैं चलने लगी हूँ।।

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23 MAR 2023 AT 18:57

छोटी सी है जिंदगी
जरा कम सोचा करो,
पहले से ही सब तय है
तुम कुछ ना सोचा करो,
मुश्किल से पाई है जिंदगी
इसे तुम हंस कर जिया करो,
छोटी सी तो है जिंदगी
थोड़ा कम सोचा करो,
तुम्हारा क्या था जो खो गया
इतना दिल को ना लगाया करो,
दुर्लभ है यह जिंदगी
जरा मुस्कुरा कर जिया करो,
छोटी सी अपनी जिंदगी
बिल्कुल न सोचा करो।।

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2 MAR 2023 AT 16:56

जखीरा तुम्हारी यादों का उद्वेलित करता है मन मेरा,
भूलों तो भूलों कैसे इन्हे ये सोचता है मन मेरा,
पर कहीं ना कहीं इन्हें चाहता भी तो है मन मेरा,
जितना दूर जाती हूँ इनसे पास ले जाता मन मेरा,



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2 MAR 2023 AT 16:44

दिल से निकले शब्द कागज पर उकेरें हैं
अब बस इस बात की चिंता है
कि कितनों को वो दिल से निकले लगते हैं।

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16 FEB 2023 AT 20:19

जिंदगी के सफर में क्या-क्या न सीखा हमने,
कुछ पलों के सफर में जीवन गुजार दिया हमने।।

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16 FEB 2023 AT 19:52

कई बार अपनी यादों को जेर ए आब करती हूँ,
पर वो लहरों के सहारे अक्सर किनारे पर आ गिरती है।

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7 FEB 2023 AT 21:08

गुलपोश सा तुम्हारा चेहरा कयामत ढाता है
जब भी तुम्हें देखता हूं दिल बस पिघला जाता है।

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6 FEB 2023 AT 21:48

आधुनिकता की होड़ में अपनी बुराइयों को छुपा रहा है
वाह रे आज के मानव तो बे-हिस होकर भी मुस्कुरा रहा है।

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