इस बार तो शहर भी एक होगा
फिर भी मिलन नही होगा-
कुछ इस तरह दूर हुए हम...
के फिर न कभी ख्वाबो में मिले
ना मुलकातो मे...!!-
थोड़ी दुखी थी वो चिडिय़ा
घर टूट गया उसका
आशियां बनाते बनाते
कोई चारा न था
किस्मत को दोष दे
ये समझ न थी
टूटे हुये सपनों को समेटे
तिनका तिनका जोड़ने लगी
इक नए आशियाने का
शाम हो चली उसे
चलते चलते...
थक गई थी वो बहुत
सुकून आंखो मे था
अब उसे किसी सहारे
की न तालाश थी
न ही रात होने की फ्रिक कोई
मेहनत ने मंजिल कदमों में ला दी
आज चिडिय़ा ने अपने कुनबे में मिशाल बना दी
टूटे हुए तिनकों को इक स्वरूप मिला
बिखर गये उस आशियाने को नया रूप मिला ... !!!-
Jis din tujhse mulakat hogi
Aey sanam,
Wo din bahot khubsurat hoga !-
Tera shehar dur h mere shehar se
Tujhse mil nahi sakte hum
Beshaq
Isliye khyal rakha kar apna
Yu to hum bhulte nahi kisi dua me tera nam
Par fir b tu apni salamati rakha kar-
hazaro mulkate abhi baki hai,
milne ki ichaa to abhi baki hai,
mauka mile to yaad kr lena,
abhi kuch saanse tere naam ki mere pas baki hai...-
Sapno ka safar bus ek hi usool par chalta hai.
Roz duniya se ladne se pehle, khudse ladna padta hai.-
तस्वीर पुरानी होती चली गई
मगर कुछ कुप्रथाएँ ,
ज्यों की त्यों ही आगे बढ़ती गई
यह तो मालूम नहीं कि ,
अतीत लौटकर आता है या नहीं ,
हाँ , मगर बीते पलों के सवाल
कभी ना कभी हम से टकराते जरूर हैं
लेकिन जब
जवाब की तलाश खत्म होती है
तब तक सवाल की दहलीज पर खड़ी उम्मीद ,
जिंदा लाश बन चुकी होती है
जिसके लिए कुछ होना या ना होना
महज एक किस्सा बन कर रह जाता है-