जो न नज़र आते हैं न कभी भरते हैं।
हर पल हर लम्हें में दर्द का सबब बनते हैं।।
हर दवा फिजूल हो जाती है
जब ये घाव ही नासूर बन जाते हैं।।-
ख्वाब, ख्याल और एहसास कभी नहीं मरा करते।
एक गहरी सी ख़ामोशी में बस दब से जाते हैं।।-
तेरे मेरे दरमियान जो रिश्ता पनपा है।
वो एहसासों का है।
वो एहसास जो सुकून देते हैं
जो प्रफुल्लित करते हैं मन को
जो देते हैं एक मीठी सी चुभन भी।
पर साथ ही एकाकार कराते हैं हमारा एक दूजे से।
कुछ ऐसा है रिश्ता तेरे मेरे दरमियान।-
आज जिन्हें तुम नजरअंदाज करते हो।
कल रुखसत जो हुए तो खोज नहीं पाओगे।।
फिर ताउम्र जाने कितने लम्हों को ।
बस काश कहते कहते गुजार जाओगे।।-
अक्सर हमेशा से ही होता रहा मेरे साथ कि मेरे दोस्तों से मेरी सालों बाद अचानक बात होती है। पहली बार एक दोस्त से 7 साल बाद अचानक बात हुई लेकिन एक पल को भी नही लगा कि हमने इतने सालों बाद बात की। आजकल ये सिलसिला चल ही रहा है। हाल ही में एक मित्र से 11साल बाद बात हुई । यह सब सोशल मीडिया से संभव हुआ। यहाँ काफी बेहतरीन बात यह रही कि सालों बाद भी वही अपनापन , वही बेबाकी , कोई शिकायत नहीं। कितना अच्छा है। इसी फेरहरिस्त में मैं अपनी एक स्पेशल मित्र जोकि मैं खुद ही हूँ( हा हा हा) 8-10 महीने के एक लंबे अंतराल से मानो बात नही कर पाई थी। लेकिन अब जब फिर उससे बात हुई तो वही अन्य मित्रों की अपेक्षा इसे हल्की शिकायत तो थी लेकिन बोली सब चंगा होना जब हम साथ हैं। अद्भुद मित्रता खुद की खुद से या बेशक किसी से।😊😊
-
शख्श टूट जाता है
किसी को टूटकर चाहने में कोई भी शख्श टूट ही जाता है
लाख करे कोशिश पर कहां संभल पाता है।
सख्त सा दिखने लगता है बाहर से हर किसी को
अंदर से जो छूने पर बिखरने को होता है।।
चेहरा हँसता है आंखे कुछ और ही कहती हैं।
पर आँखे पढ़ने की काबिलियत कहां हर किसी में होती है।
ख़ामोशी सी छा जाती है अंदर बाहर
गंभीरता सी झलकने लगती है बातों में।।
ढूंढने में लग जाता है अपने काम में सुकून
पर काम के हर लम्हे में भी कहां वो शख्श को भूल पाता है-
कितने लम्हे मेरे हिस्से है या तेरे हिस्से है
खबर न तुझको है और बेखबर मैं भी हूँ।
किस खातिर खफ़ा तू मुझसे है
और सहमा सा कुछ मैं भी हूँ।।
क्या ही मिलेगा उस पछतावे से
जो वक़्त गुजर जाने पे हो।।
यूँ वक़्त के सिवा वक़्त रहते
कुछ भी तो हमने माँगा नहीं।।
-
कोई अपना न हो तो चलता है
पर अपना होकर भी नजरअंदाज करे
तो दिल दुखता है ।-
If you learn a lesson from your mistake that's not actually a mistake but a lesson indeed.
-