Sangeeta Bisht   (SangeetaRawatBisht)
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Joined 3 May 2020


Joined 3 May 2020
14 MAY 2020 AT 23:39

जो लोग जैसा करते है
मैं उनके साथ वैसा ही करती हूँ
लेकिन
अब लोग ये क्यों कहने लगे कि मैं बदल गई हूँ?

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9 MAY 2021 AT 14:32


पहले कदम की शुरुआत करती है
अंधेरो में दिये सा उजाला बनती है ।
माँ .............
शब्द सुनकर ही चेहरे पर बड़ी सी मुस्कान आ जाती है
और सारी परेशानियाँ जैसे छू मंतर हो जाती है ॥

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1 MAY 2021 AT 8:08

नज़रे तरस रही है वो खुशमिजाज जहां देखने को
पक्षी की चहचहाहट और इंसानों की चहल कदमी को
आज थम सी गई है जिन्दगी और चारो ओर शोर है
ये परलय का आया कैसा विनाशक दौर है |


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21 APR 2021 AT 17:22

लड़कियों को सिर्फ नवरात्रों में ही मत पूजो
ये वो धरोहर है जिससे मकान एक घर बन जाता है।

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29 MAR 2021 AT 7:42

होलिका दहन के साथ
अपनी नफरतों को भी जलाना ।
हर जगह खुशियाँ फैले
इस बार ऐसी होली मनाना ॥
गले मिलने के साथ
अपने विचारों को भी मिलाना ।
गुलाल के जैसे ही
सबके रंग में रंग जाना ॥
गुजियाँ बनाने के साथ
उसकी मिठास को दूर तक फैलाना ।
देश की अनेकता को
एक धागे मे पिरोना ॥
हर जगह खुशियाँ फैले
इस बार ऐसी होली मनाना..........😊



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8 MAR 2021 AT 9:02

हाँ..... मैं एक नारी हूँ

सावन के ऋतु जैसे मुस्कुराती हूँ
अपनों के हर रंग में रंग जाती हूँ
कहने को तो नाम अनेक पर मैं एक हूँ
हाँ..... मै एक नारी हूँ ।

कभी बेटी बन घर में इठलाती हूँ
कभी पत्नी बन घर को सवारती हूँ
तो कभी माँ बन घर की सारी जिम्मेदारी उठाती हूँ
हाँ..... मैं एक नारी हूँ ।

वैसे तो विश्व के लिए कल्याणकारी हूँ
पर कोई मुझे रौंदना चाहे तो काली हूँ
समाज की कुरीतियों का आईना हूँ
हाँ..... मैं एक नारी हूँ ।

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6 FEB 2021 AT 12:35

जिन्दगी का मिजाज कुछ अलग सा हो गया है
चेहरे पर मुस्कान तो है पर दिल का दर्द बढ़ सा गया है ।
कलियों को खिलखिलाते सभी ने देखा
बागो पर वह फूल बन आज मुरझा सा गया है।

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26 JAN 2021 AT 9:40

चलो इस गणतंत्र दिवस पर यह प्रण लेते है
आपस का बैर छोड़कर हिन्दुस्तान को महत्व देते है ।

इसकी प्रगति के साथी और साक्षी बनकर
चलो विश्व विजेता बन तिरंगा फहराते है ।

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24 JAN 2021 AT 10:31

आज भी
बेटे का जन्म अभिमान
बेटी का जन्म अपमान क्यों ?
बेटे की इतनी इज्जत
बेटी की इज्जत तार-तार क्यों ?

हो रही चारो ओर समानता की बातें
फिर बेटा - बेटी मे भेदभाव क्यों ?
जो खामोश हो गई पीड़ा सहते - सहते
उन्हें न्याय दिलाने में इतनी देरी क्यों ?

बेटी दिवस सब मना रहे
सोचो ये नाटक सब रचा रहे क्यों ?

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20 JAN 2021 AT 20:22

दिल और दिमाग की कशमकश तो देखो
दिल रोता बहुत है
और
दिमाग सोचता बहुत है ।

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