Sangeeta❤️  
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Joined 12 May 2020


Joined 12 May 2020
5 DEC 2022 AT 22:49

देखती है कुछ यूं हमें दीवारों के पिछे से
जैसे उनका बचपन ताक रहा केवाड़ो के दरीचे से
कदमों से भागते हम और हमें पकड़ती उनकी आंखें
होंठ तो सिर्फ हिलें पर आंखों से कह दी उसने सारी बातें
प्यार से पुचकारती ना खाने पर जोर से मारती
मां हैं वो उसे सारी तरकीबें हैं आती
घर के सारे काम फिर हमारे बेफिजूल मांग
दिन भर इधर उधर भागती पर थकान की इतनी हिम्मत नहीं कि उसको छू भी जाएं
हां पर मुस्कुराएं देखें बहुत दिन बीत गए
शायद मेरे बचपन में मेरी ही उटपटांग सी हरकतों पर हंसी थी
मां हैं वो जिसके बिना मेरी कोई हस्ती भी नहीं होती।

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4 DEC 2022 AT 20:59

कभी डूबती तो कभी पार लगाती हैं ये कश्ती
लहरें तो बदनाम हैं बस यूं ही
पर खुद में हुएं छेद से हारती ये कश्ती।

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2 DEC 2022 AT 22:59

सहारे कमजोर बनातें हैं
डर से हारना बुजदिल बनाता हैं
दूसरो पर विश्वास निर्भर बनाता हैं
और खुद से नफ़रत आपको कायर बनाती हैं
लेकिन जिंदगी कुछ और हैं
इसे समझने की कोशिश करो

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2 DEC 2022 AT 21:24

खुद के हाथों से खुद को ही मार डाला मैंने
और पता भी नहीं चला

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30 NOV 2022 AT 10:19

सबको भूल जाऊं मैं खुद की चाहत में
ऐसी एक पहचान दे
प्यार हो मुझको मुझसे
ऐसा कोई इनाम दे
रोना भी आए और खुल के हंस भी सकूं
ऐसी एक शाम दे
ज़िन्दगी मेरा एक काम कर दे
साथ बैठ मेरे और मुझे उम्मीदों से भर दे।

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29 NOV 2022 AT 22:19

झूठ को सही बनाना बहुत आसान है

लेकिन सही को सही बताना बहुत मुश्किल है

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29 NOV 2022 AT 10:39

सुबह उठते ही शुभप्रभात कहता हैं
दिन में थक जाऊं गर तो साथ मेरे रहता है
ठंड में गर्मी सा एहसास उससे ही तो आता हैं
ऐसे ही नहीं,
कोई किसी के प्यार में डूब जाता हैं
यूं चाय तो मेरा पहला प्यार नहीं है
पर हां
गहरे प्यार जैसा साथ वो निभाता हैं
सुबह कि चाय से मेरा दिन बन जाता हैं 💕

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28 NOV 2022 AT 22:13

कलयुगी इंसान मैं, ना चरित्र हैं ना पवित्र हूं।
ना वचन का मेरे मान हैं, ना इंसान यहां महान् हैं
ना कर्म का मुझको ज्ञान है, बस धन यहां महान् हैं।
ना कोई नियम यहां, ना ही कोई सत्य बचा
फायदा देख मनुष्य ने, काल्पनिक कथा रचा।
तपस्या करना भूले हम, तभी तो क्रोध आगे हैं।
क्षमा करना सीखें हम, तभी तो पाप आगे हैं।
माया ने जाल बिछा दिया, प्रेम का स्वांग रचा दिया।
मनुष्य ने मनुष्य को मनुष्य से लड़ा दिया।
बस अब चारों ओर गूंजता गलतियों का शोर है
ना आगे कोई कृष्ण हैं ना पिछे कोई और है
आसमान से जमीन पर, बस इंसान ही इंसान हैं ।
ना सत्य बचाने को कोई, यहां कर रहा संग्राम हैं।

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28 NOV 2022 AT 21:32

आबाद करनी है जिंदगी गर तुम्हें,
तो खुद को निखारना ज़रूरी हैं।
अपनों को तो बहुत तलाशा तुमने,
अब खुद को तराशना जरूरी हैं।
मंजिल कि फिक्र क्यों तुम्हें,
जब सही रास्ते पर हो चल पड़े।
रिश्ते और पैसों की जंग से, अब सीखना जरूरी हैं।
हार जाना सबसे पर, खुद से जीतना जरूरी हैं।
कोई चाहे हारते हुए देखना तुम्हें,
तो तुम्हारा जीतना जरूरी हैं।
अपने और अपनों से जब कभी विवाद हो,
तो उससे सिखना जरूरी हैं ।
आगे बढ़ना जरूरी हैं
कभी - कभी रूकना भी जरूरी हैं।
खुद को पाने के लिए औरों को खोना जरूरी हैं,
हंसना जरूरी हैं और रोना भी जरूरी हैं।

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27 NOV 2022 AT 22:37

जब कुछ चीजें हमारे अनुसार नहीं होती हैं
तो हम परेशान हो जाते हैं
क्योंकि उसे पाने के लिए हमने हज़ार कोशिशें की होती हैं, हज़ार तरह कि तैयारियां भी होती हैं।
पर पता हैं क्या
हारने पर दिल छोटा ना किया करो मेरे दोस्त
क्योंकि अगर तैयारी की है ना, तो कामयाबी भी मिलेगी।
और जितना तुमने सोचा है, उससे बड़ी कामयाबी मिलेगी।
क्योंकि मंजिल को भी उस मुसाफिर का इंतजार हैं
जो कभी हार नहीं मानता हो।

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