Sãngèètã Àhïr   (@suppressed desires@)
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Joined 14 June 2025


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Joined 14 June 2025

तुम्हारा साथ, मानो मैं पूर्ण हुँ
तुम्हारे बिन,मैं सदैव अपूर्ण हुँ

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निगाहो से अपनी नजारा दिखा दो
हमें भी थोड़ा तुम अपनी तरह बना दो
सिख जाये हम भी जख्म देने का हुनर
थोड़ा तुम फरेबी होना हमें भी सिखा दो

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संशय हैं कई पर आस तुमसे हैं
लड़खड़ाते हैं कदम अक्सर पर विश्वास तुम पर हैं
टूट कर बिखर जाते माधव हम तो कब के
पर इन साँसो की डोरी हाथ तुम्हारे हैं
क्षीण हो जाते ये विचार कब के
पर मन मे पल -पल नाम तुम्हारा हैं
चिंता हैं हमारी चिता समान माधव
पर इस चित्त मे चिंतन बस तुम्हारा हैं

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YESTERDAY AT 17:53

मेरे आंगन मे खड़ा हैं वो सीना ताने
धुप, गर्मी सर्दी से हमें बचाने
नहीं रखता वो उम्मीद हमसे
सिवाय एक कटरा पानी के

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YESTERDAY AT 11:59

आंकने दो दुनिया को, तुम अपनी अलग दुनिया बसा लो
मिलती हैं जिनसे ख़ुशी तुम उन्हें ही अपनी दुनिया बना लो

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YESTERDAY AT 11:45

दूर हो या पास हो क्या फर्क पड़ता हैं
प्रिय है जो इस ह्रदय को,ये कहाँ उन्हें भूल पाता हैं

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7 JUL AT 16:45

उस हलचल की कीमत
हम आज भी चूका रहे हैं
मिन्नते कर-कर के उनको
जीवन मे वापस बुला रहे हैं

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7 JUL AT 16:38

मन ही मन बाते कर तु हजार
अब कर नहीं किसी पर एतबार
उलझें जब भी सवालों के घेरो मे
खुद ही सुलझा खुद के विचार
ना रख किसी से सहारे की दरकरार
दुनिया ने दिये हैं जख्म कई हजार
इन जख्मो को अब सिलती जा
तु खुद ही खुद का सहारा बन चलती जा

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6 JUL AT 23:25

तुम्हारा यूँ नाराज हो जाना
सही हैं क्या जानां यूँ मुझे सताना
कहो अगर जो तुम
तो किनारा कर लूँ दुनिया से
बात-बात पर यूँ मुझे रुलाना
सही हैं क्या जानां यूँ मुझे तड़पाना
चाहो अगर जो तुम
तो कुर्बान ये जीवन तुम पर
बात-बात पर यूँ एहसान गिनवाना
सही हैं क्या जानां यूँ मुझे गैर बनाना
पूछो अगर तुम तो
बताऊ इस दिल की तम्मना तुम्हे
बात-बात पर यूँ ताने देना
सही हैं क्या जानां यूँ मुझे फरेबी कहना

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6 JUL AT 23:04

तमन्ना-ए-इश्क थी हमारी
तुम बनो मेरे अर्धांग मैं अर्धांगिनी तुम्हारी

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