Sangeeta Agrawal   (संगीता)
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हृदय के भाव वेग का दर्पण
गीत और छंद करूँ मैं अर्पण
Joined 5 April 2020


हृदय के भाव वेग का दर्पण
गीत और छंद करूँ मैं अर्पण
Joined 5 April 2020
27 MAR 2022 AT 12:24

प्रेम की वृष्टि में वो नहा कर गया
इक नदी था हमें ले बहा कर गया

रास्तों पर कई मोड़ देखे किए
मंज़िलों का पता ना बता कर गया

लोग रूठे कई साथ छूटे कई
स्वप्न सारे नए से दिखा कर गया

संग अपने बिछड़ते हुए ले गया
दिल कहाँ था मगर अब कहाँ कर गया

मोतियों से गया भर दुपट्टा मेरा
प्रेम की सारी कीमत अदा कर गया

शेर कहते हुए जब गला भर गया
'वाह' कर अंजुमन को सजा कर गया

-संगीता— % &सामने वो किसी और का हो रहा
'तू ज़रूरी नहीं' यह बता कर गया

दुःख है यह नहीं हम अकेले हुए
है खुशी वो किसी से वफा कर गया

हम कहें ना कहें दिख रहा है मगर
शाइरी की हसीं लत लगा कर गया

ख़्वाब में भी उसे हम बुला ना सकें
जागते नैन रातें जगा कर गया

ज़ुर्म किसका है इल्ज़ाम किस पर धरें
वक्त नाज़ुक रहा दिल खता कर गया

पंखुड़ी पंखुड़ी अब गई है बिखर
तीर 'संगीत' पर यूँ चला कर गया — % &

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21 MAR 2022 AT 19:55

लेखन कवि का धर्म है, जीवन का आधार।
निर्मल पावन कर्म यह, ज्यों गंगा की धार।।

पग-पग करना है सृजन, कविताओं का सार।
शब्दों के अभिषेक से, उद्घोषित संसार।।

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18 MAR 2022 AT 16:21

करें यूँ रंग की बौछार भीगे तन कि होली है
बहा दें प्रेम के ही रंग भीगे मन कि होली है

हरा नीला गुलाबी लाल पीला यूँ चढ़े सब पर
दिखे हर एक राधा संग में मोहन कि होली है

महीना एक फागुन का बरस में एक ही होली
छुटाए से न छूटे रंग दें दामन कि होली है

न रूठें हम किसी से ना किसी को रूठने ही दें
गले मिल कर मना लें ना रहे अन-बन कि होली है

नशे में झूमता संसार नाचे ताल पर ढप के
हवा में गंध केसर की कहीं चन्दन कि होली है

-संगीता— % &नया सूरज नया चंदा बिखेरे रंग की किरणें
सितारों ने बनाए रंग के तोरन कि होली है

करें श्रृंगार ऐसा आज फीके रंग हो जाएँ
बँधे हों ना कभी ऐसे बँधे बन्धन कि होली है

न माने है पकड़ कर बाँह प्रियतम अंक में लाए
कि लुक-छिप देह सारी रंग दे जब-रन कि होली है

सदा सुख शांति हो जग में अमन के रंग चढ़ जाएँ
यही है प्रार्थना जीवन रहे रोशन कि होली है

दिशाएँ सृष्टि की सारी गुलालों से सजी जैसे
चटक रंगों भरा 'संगीत' का आँगन कि होली है— % &

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12 MAR 2022 AT 20:44

अत्यंत ही भीषण युद्ध हो, हो दिग-दिगांतर हाहाकार
सुदूर प्रेमियों के अंक में, प्रेम ले ही लेता आकार

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9 MAR 2022 AT 12:22

मंज़र ना ठहरा कोई वीराना बन के
क़िस्मत में जब आया तू दीवाना बन के

सोचा ना था यूँ मिल जाएगा तू मुझको
लिपटा दामन से प्यारा नज़राना बन के

रग-रग में तेरी ही खुशबू है जाने-जाँ
मुमकिन ना जाना दिल से अंजाना बन के

हो जाऊँ मस्तानी चाहत में तेरी मैं
मोहब्बत बरसाए तू मस्ताना बन के

शादाँ है तुमसे ही दर चौखट घर मेरा
तकता है रह तेरी दिल काशाना बन के

नगमें मेरी नज्में सारी ग़ज़लें यारा
सजदे में झुक जाती हैं शुकराना बन के

देखूँ मैं छू कर जो शम्मा बन जाए तू
'संगीत' से कहता है यूँ परवाना बन के

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26 FEB 2022 AT 19:24

युद्ध नफरत जय पराजय, द्वेष की बेड़ी न बाँधों
प्रेम पुलकित हो न पाए, तीर तुम ऐसे न साधो

रण हृदय का जीत सबका, बाँटना हो प्यार बाँटो
लहलहाए भूमि का मन, स्नेह के ही बीज छाँटो

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10 FEB 2022 AT 12:35

हर सम्त हैं पसरी हुई ख़ामोशियाँ सोचा न था
इतने बढ़ेंगे फासले यूँ दरमियाँ सोचा न था

तन्हाइयों में महफ़िलों में याद बन कर रह गए
पहली सी फिर होंगी नहीं नज़दीकियाँ सोचा न था

होती रहीं बातें कई दिल की सभी शाम-ओ-सहर
बातों में आ जाएँगी ऐसी तल्ख़ियाँ सोचा न था

खुशरंग था वो आसमाँ थी खूबसूरत ये ज़मीं
सहनी पड़ेंगी प्यार में दुश्वारियाँ सोचा न था

ना ही मुहब्बत और अब ना ही मुरव्वत के निशाँ
रोके रुकेंगी पर नहीं ये सिसकियाँ सोचा न था

झूले घरौंदे तितलियाँ 'संगीत' की शैतानियाँ
होंगी कहीं गुम एक दिन नादानियाँ सोचा न था — % &

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31 JAN 2022 AT 23:03

कहते हैं, प्रेमी प्रेम में
बोलते कम और
मुस्कुराते ज़्यादा हैं,
मगर हम बोलते रहे
बेतहाशा,
कि छुपा रहे प्रेम
दुनिया की नज़रों से,
हृदय की गहराइयों में
और अंततः
भीग गया आँसुओं में
'प्रेम'— % &

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24 JAN 2022 AT 18:05

प्रेमी
जुदा होते हैं
विदा होते हैं
मगर
ठहर जाता है
आत्मा में
सदा के लिए
'प्रेम'

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20 JAN 2022 AT 15:15

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