प्रेम की वृष्टि में वो नहा कर गया इक नदी था हमें ले बहा कर गया रास्तों पर कई मोड़ देखे किए मंज़िलों का पता ना बता कर गया लोग रूठे कई साथ छूटे कई स्वप्न सारे नए से दिखा कर गया संग अपने बिछड़ते हुए ले गया दिल कहाँ था मगर अब कहाँ कर गया मोतियों से गया भर दुपट्टा मेरा प्रेम की सारी कीमत अदा कर गया शेर कहते हुए जब गला भर गया 'वाह' कर अंजुमन को सजा कर गया -संगीता— % &सामने वो किसी और का हो रहा 'तू ज़रूरी नहीं' यह बता कर गया दुःख है यह नहीं हम अकेले हुए है खुशी वो किसी से वफा कर गया हम कहें ना कहें दिख रहा है मगर शाइरी की हसीं लत लगा कर गया ख़्वाब में भी उसे हम बुला ना सकें जागते नैन रातें जगा कर गया ज़ुर्म किसका है इल्ज़ाम किस पर धरेंवक्त नाज़ुक रहा दिल खता कर गया पंखुड़ी पंखुड़ी अब गई है बिखर तीर 'संगीत' पर यूँ चला कर गया — % & -
प्रेम की वृष्टि में वो नहा कर गया इक नदी था हमें ले बहा कर गया रास्तों पर कई मोड़ देखे किए मंज़िलों का पता ना बता कर गया लोग रूठे कई साथ छूटे कई स्वप्न सारे नए से दिखा कर गया संग अपने बिछड़ते हुए ले गया दिल कहाँ था मगर अब कहाँ कर गया मोतियों से गया भर दुपट्टा मेरा प्रेम की सारी कीमत अदा कर गया शेर कहते हुए जब गला भर गया 'वाह' कर अंजुमन को सजा कर गया -संगीता— % &सामने वो किसी और का हो रहा 'तू ज़रूरी नहीं' यह बता कर गया दुःख है यह नहीं हम अकेले हुए है खुशी वो किसी से वफा कर गया हम कहें ना कहें दिख रहा है मगर शाइरी की हसीं लत लगा कर गया ख़्वाब में भी उसे हम बुला ना सकें जागते नैन रातें जगा कर गया ज़ुर्म किसका है इल्ज़ाम किस पर धरेंवक्त नाज़ुक रहा दिल खता कर गया पंखुड़ी पंखुड़ी अब गई है बिखर तीर 'संगीत' पर यूँ चला कर गया — % &
-
लेखन कवि का धर्म है, जीवन का आधार। निर्मल पावन कर्म यह, ज्यों गंगा की धार।।पग-पग करना है सृजन, कविताओं का सार।शब्दों के अभिषेक से, उद्घोषित संसार।। -
लेखन कवि का धर्म है, जीवन का आधार। निर्मल पावन कर्म यह, ज्यों गंगा की धार।।पग-पग करना है सृजन, कविताओं का सार।शब्दों के अभिषेक से, उद्घोषित संसार।।
करें यूँ रंग की बौछार भीगे तन कि होली हैबहा दें प्रेम के ही रंग भीगे मन कि होली हैहरा नीला गुलाबी लाल पीला यूँ चढ़े सब परदिखे हर एक राधा संग में मोहन कि होली हैमहीना एक फागुन का बरस में एक ही होली छुटाए से न छूटे रंग दें दामन कि होली है न रूठें हम किसी से ना किसी को रूठने ही दें गले मिल कर मना लें ना रहे अन-बन कि होली हैनशे में झूमता संसार नाचे ताल पर ढप केहवा में गंध केसर की कहीं चन्दन कि होली है-संगीता— % &नया सूरज नया चंदा बिखेरे रंग की किरणेंसितारों ने बनाए रंग के तोरन कि होली हैकरें श्रृंगार ऐसा आज फीके रंग हो जाएँबँधे हों ना कभी ऐसे बँधे बन्धन कि होली हैन माने है पकड़ कर बाँह प्रियतम अंक में लाएकि लुक-छिप देह सारी रंग दे जब-रन कि होली हैसदा सुख शांति हो जग में अमन के रंग चढ़ जाएँयही है प्रार्थना जीवन रहे रोशन कि होली हैदिशाएँ सृष्टि की सारी गुलालों से सजी जैसेचटक रंगों भरा 'संगीत' का आँगन कि होली है— % & -
करें यूँ रंग की बौछार भीगे तन कि होली हैबहा दें प्रेम के ही रंग भीगे मन कि होली हैहरा नीला गुलाबी लाल पीला यूँ चढ़े सब परदिखे हर एक राधा संग में मोहन कि होली हैमहीना एक फागुन का बरस में एक ही होली छुटाए से न छूटे रंग दें दामन कि होली है न रूठें हम किसी से ना किसी को रूठने ही दें गले मिल कर मना लें ना रहे अन-बन कि होली हैनशे में झूमता संसार नाचे ताल पर ढप केहवा में गंध केसर की कहीं चन्दन कि होली है-संगीता— % &नया सूरज नया चंदा बिखेरे रंग की किरणेंसितारों ने बनाए रंग के तोरन कि होली हैकरें श्रृंगार ऐसा आज फीके रंग हो जाएँबँधे हों ना कभी ऐसे बँधे बन्धन कि होली हैन माने है पकड़ कर बाँह प्रियतम अंक में लाएकि लुक-छिप देह सारी रंग दे जब-रन कि होली हैसदा सुख शांति हो जग में अमन के रंग चढ़ जाएँयही है प्रार्थना जीवन रहे रोशन कि होली हैदिशाएँ सृष्टि की सारी गुलालों से सजी जैसेचटक रंगों भरा 'संगीत' का आँगन कि होली है— % &
अत्यंत ही भीषण युद्ध हो, हो दिग-दिगांतर हाहाकार सुदूर प्रेमियों के अंक में, प्रेम ले ही लेता आकार -
अत्यंत ही भीषण युद्ध हो, हो दिग-दिगांतर हाहाकार सुदूर प्रेमियों के अंक में, प्रेम ले ही लेता आकार
मंज़र ना ठहरा कोई वीराना बन केक़िस्मत में जब आया तू दीवाना बन के सोचा ना था यूँ मिल जाएगा तू मुझको लिपटा दामन से प्यारा नज़राना बन के रग-रग में तेरी ही खुशबू है जाने-जाँ मुमकिन ना जाना दिल से अंजाना बन केहो जाऊँ मस्तानी चाहत में तेरी मैं मोहब्बत बरसाए तू मस्ताना बन के शादाँ है तुमसे ही दर चौखट घर मेरा तकता है रह तेरी दिल काशाना बन के नगमें मेरी नज्में सारी ग़ज़लें यारा सजदे में झुक जाती हैं शुकराना बन के देखूँ मैं छू कर जो शम्मा बन जाए तू 'संगीत' से कहता है यूँ परवाना बन के -
मंज़र ना ठहरा कोई वीराना बन केक़िस्मत में जब आया तू दीवाना बन के सोचा ना था यूँ मिल जाएगा तू मुझको लिपटा दामन से प्यारा नज़राना बन के रग-रग में तेरी ही खुशबू है जाने-जाँ मुमकिन ना जाना दिल से अंजाना बन केहो जाऊँ मस्तानी चाहत में तेरी मैं मोहब्बत बरसाए तू मस्ताना बन के शादाँ है तुमसे ही दर चौखट घर मेरा तकता है रह तेरी दिल काशाना बन के नगमें मेरी नज्में सारी ग़ज़लें यारा सजदे में झुक जाती हैं शुकराना बन के देखूँ मैं छू कर जो शम्मा बन जाए तू 'संगीत' से कहता है यूँ परवाना बन के
युद्ध नफरत जय पराजय, द्वेष की बेड़ी न बाँधों प्रेम पुलकित हो न पाए, तीर तुम ऐसे न साधो रण हृदय का जीत सबका, बाँटना हो प्यार बाँटो लहलहाए भूमि का मन, स्नेह के ही बीज छाँटो -
युद्ध नफरत जय पराजय, द्वेष की बेड़ी न बाँधों प्रेम पुलकित हो न पाए, तीर तुम ऐसे न साधो रण हृदय का जीत सबका, बाँटना हो प्यार बाँटो लहलहाए भूमि का मन, स्नेह के ही बीज छाँटो
हर सम्त हैं पसरी हुई ख़ामोशियाँ सोचा न था इतने बढ़ेंगे फासले यूँ दरमियाँ सोचा न था तन्हाइयों में महफ़िलों में याद बन कर रह गए पहली सी फिर होंगी नहीं नज़दीकियाँ सोचा न था होती रहीं बातें कई दिल की सभी शाम-ओ-सहर बातों में आ जाएँगी ऐसी तल्ख़ियाँ सोचा न था खुशरंग था वो आसमाँ थी खूबसूरत ये ज़मींसहनी पड़ेंगी प्यार में दुश्वारियाँ सोचा न था ना ही मुहब्बत और अब ना ही मुरव्वत के निशाँरोके रुकेंगी पर नहीं ये सिसकियाँ सोचा न था झूले घरौंदे तितलियाँ 'संगीत' की शैतानियाँहोंगी कहीं गुम एक दिन नादानियाँ सोचा न था — % & -
हर सम्त हैं पसरी हुई ख़ामोशियाँ सोचा न था इतने बढ़ेंगे फासले यूँ दरमियाँ सोचा न था तन्हाइयों में महफ़िलों में याद बन कर रह गए पहली सी फिर होंगी नहीं नज़दीकियाँ सोचा न था होती रहीं बातें कई दिल की सभी शाम-ओ-सहर बातों में आ जाएँगी ऐसी तल्ख़ियाँ सोचा न था खुशरंग था वो आसमाँ थी खूबसूरत ये ज़मींसहनी पड़ेंगी प्यार में दुश्वारियाँ सोचा न था ना ही मुहब्बत और अब ना ही मुरव्वत के निशाँरोके रुकेंगी पर नहीं ये सिसकियाँ सोचा न था झूले घरौंदे तितलियाँ 'संगीत' की शैतानियाँहोंगी कहीं गुम एक दिन नादानियाँ सोचा न था — % &
कहते हैं, प्रेमी प्रेम मेंबोलते कम और मुस्कुराते ज़्यादा हैं,मगर हम बोलते रहे बेतहाशा, कि छुपा रहे प्रेमदुनिया की नज़रों से,हृदय की गहराइयों मेंऔर अंततःभीग गया आँसुओं में 'प्रेम'— % & -
कहते हैं, प्रेमी प्रेम मेंबोलते कम और मुस्कुराते ज़्यादा हैं,मगर हम बोलते रहे बेतहाशा, कि छुपा रहे प्रेमदुनिया की नज़रों से,हृदय की गहराइयों मेंऔर अंततःभीग गया आँसुओं में 'प्रेम'— % &
प्रेमी जुदा होते हैंविदा होते हैंमगर ठहर जाता हैआत्मा मेंसदा के लिए 'प्रेम' -
प्रेमी जुदा होते हैंविदा होते हैंमगर ठहर जाता हैआत्मा मेंसदा के लिए 'प्रेम'
. -
.