सुने सबकी वो मगर फल दे कर्मानुसार
ऐसा मेरे बजरंगी बाला है
एक हाथ गदा सुशोभित हनुमते
एक हाथ वेणुधारी माला है
जय श्री राम जय बजरंग बली-
Btechian....
Aspirant....
हर पल में जब खिलखिलाती हूँ मैं न जाने कितने ग़म छुपाती हूँ मैं
रहती हूँ नकली उजालों में कहीं, अरमानों के दिए कितने बुझाती हूँ मैं-
हर रोज तुझे पढ़ती हूं और हर दिन कुछ नया पढ़ लेती हूं
तू किताब ऐसी है जो ताउम्र ख़त्म न हो चाहे कितना भी पढ़ लूं-
तेरे रंग में रंग जाऊं मेरे सांवरे
बन बंसी तेरे होंठों से लग जाऊं बावरे ।-
ज़िन्दगी को समझते समझते जीना भूल गई
बीत गए बरस पे बरस लो ये उम्र भी फ़िज़ूल गई-
तुम मेरा पहला प्यार तुम सुहाग हो
तुम मेरा पतझड़ तुम ही फ़ाग हो
तुम कलि मेरे दिल की तुम ही सम्पूर्ण बाग हो
जो मर जाने पर भी मुझमें रहे तुम मेरा वो भाग हो-
ठीक तो है अगर भक्त महादेव के हो तो कष्ट भी महादेव से आएँगे
कभी पीना होगा हलाहल तो कभी तीसरी आँख खोल जाएंगे
कभी प्रेम जलेगा सती सा तो कभी पार्वती भी संग पाएँगे
कभी रगड़नी होगी श्मशान की भस्म तो कभी गंगा से नहाएंगे-
मैंने काज़ल से माफ़ी माँगी है
बिठाकर आँखों पर चंद पलों के लिए
अक्सर उसके धुल जाने का अफ़सोस होता है-