मिलन की आस लिए कैसे कैसे नकली अरमान हम बुनते हैदीवार से सटाकर ख्वाबो मे उसके लब कभी पेशानी चमुते हैपुराने मंजर याद आये तो तड़प उठाते कभी मचल हम उठते है दफ्तर में काम करते वक़्त बेवक्त जेहन से भटक हम जाते है इतनी कोशिश के बाद भी उसकी नजरो में मानो गैरजरूरी से हम है क्या ये तुम्हारा जुल्म नही मेहमिल में मुस्कुराते और अकेले में रो हम देते है कभी पुकारो हम को दिल से कभी मिलो हम से चंद लम्हे कुछ चंद पलसच सच कह दो दिल तुम भी रखते हो और हम भी दिल रखते है गर मुझसे मोहब्बत नही तो फ़क़त इक बार अपनी जुबान से कह दोगले मे तेरे नाम की रस्सी डाल लटक गए मगर अचम्भा नही हम मरते है #दीप -
मिलन की आस लिए कैसे कैसे नकली अरमान हम बुनते हैदीवार से सटाकर ख्वाबो मे उसके लब कभी पेशानी चमुते हैपुराने मंजर याद आये तो तड़प उठाते कभी मचल हम उठते है दफ्तर में काम करते वक़्त बेवक्त जेहन से भटक हम जाते है इतनी कोशिश के बाद भी उसकी नजरो में मानो गैरजरूरी से हम है क्या ये तुम्हारा जुल्म नही मेहमिल में मुस्कुराते और अकेले में रो हम देते है कभी पुकारो हम को दिल से कभी मिलो हम से चंद लम्हे कुछ चंद पलसच सच कह दो दिल तुम भी रखते हो और हम भी दिल रखते है गर मुझसे मोहब्बत नही तो फ़क़त इक बार अपनी जुबान से कह दोगले मे तेरे नाम की रस्सी डाल लटक गए मगर अचम्भा नही हम मरते है #दीप
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उसने होंठ सील रखे है जिसका दिल सदा देता हैपढ़ने का हुनर आ जाए तो चेहरा सब बता देता है -
उसने होंठ सील रखे है जिसका दिल सदा देता हैपढ़ने का हुनर आ जाए तो चेहरा सब बता देता है
तुम जितना सोचती हो उतना तो नही हिज्र आसान होगाराधा सी प्रेयसी रोयेगी जब उससे जुदा उसका मोहन होगाफिर कान्हा भी जा मिलेगा आखिर मजबूरी मे रुक्मिणी सेघिसेगा किसी और पत्थर पे महका कहि और चन्दन होगा -
तुम जितना सोचती हो उतना तो नही हिज्र आसान होगाराधा सी प्रेयसी रोयेगी जब उससे जुदा उसका मोहन होगाफिर कान्हा भी जा मिलेगा आखिर मजबूरी मे रुक्मिणी सेघिसेगा किसी और पत्थर पे महका कहि और चन्दन होगा
गहरे पानी मे उतरकर जैसे कश्ती डूब काजग की जाती हैउसकी इक झलक देखता हूं मेरी धड़कन तेज हो जाती हैउससे नजरें मिलने की ख़्वाहिश मगर हिम्मत कहा जुट पाती हैमै जब भी बीज बोता हु उसकी लागत ज्यादा उपज कम जाती हैवो नही समझ पाती मेरे अहसास,मेरा दिल,मेरे गहरे जज़बातों कोउस किनारों से टकराकर मेरी उम्मीद की लौट कर मौज आती हैहम दिन रात याद करते है उसको जैसे इम्तिहां हो शागिर्द कामै खामोश हो कर चीखता हु मगर उसे कब मेरी आवाज आती है -
गहरे पानी मे उतरकर जैसे कश्ती डूब काजग की जाती हैउसकी इक झलक देखता हूं मेरी धड़कन तेज हो जाती हैउससे नजरें मिलने की ख़्वाहिश मगर हिम्मत कहा जुट पाती हैमै जब भी बीज बोता हु उसकी लागत ज्यादा उपज कम जाती हैवो नही समझ पाती मेरे अहसास,मेरा दिल,मेरे गहरे जज़बातों कोउस किनारों से टकराकर मेरी उम्मीद की लौट कर मौज आती हैहम दिन रात याद करते है उसको जैसे इम्तिहां हो शागिर्द कामै खामोश हो कर चीखता हु मगर उसे कब मेरी आवाज आती है
अच्छा भी लगता है उसको,उसका दिल भी दुखता हैवो माँ जिसका बच्चा पहली बार किसी स्कूल जाता हैलब्जों मे कैसे बयां करे कोई अपने जज़बातों कोआंगन का इक छोटा सा पौधा पेड़ बन बढ़ जाता है -
अच्छा भी लगता है उसको,उसका दिल भी दुखता हैवो माँ जिसका बच्चा पहली बार किसी स्कूल जाता हैलब्जों मे कैसे बयां करे कोई अपने जज़बातों कोआंगन का इक छोटा सा पौधा पेड़ बन बढ़ जाता है
इक अरसा हो गया उसका चेहरा निहारा नही गयाजख्म ताजा रखा है अभी मुक़म्मल भरा नही गयामिलन की आस लिए उसकी घुट घुट कर जी रहे हैं हमअभी दरमियाँ धुंध बाकी है छट अभी कोहरा नही गयाकाश ऐसा मंजर आये सीने से लगे वो लौट पुराने दिन आयेअभी सर पे इश्क़ मंडरा रहा अभी उम्मीद को मारा नही गया दीप -
इक अरसा हो गया उसका चेहरा निहारा नही गयाजख्म ताजा रखा है अभी मुक़म्मल भरा नही गयामिलन की आस लिए उसकी घुट घुट कर जी रहे हैं हमअभी दरमियाँ धुंध बाकी है छट अभी कोहरा नही गयाकाश ऐसा मंजर आये सीने से लगे वो लौट पुराने दिन आयेअभी सर पे इश्क़ मंडरा रहा अभी उम्मीद को मारा नही गया दीप
जिससे हम मोहब्बत करते है वो हमको इग्नोर करता हैमाना के वो इश्क़ करता है मगर ना-बराबर करता हैहम पहले पहल कर तब जा कर गुफ़्तुगू करता है वोकैसे मान ले हमारे जज़बातों की कद्र वो बेकदर करता है दिलाता रहता है वो हरदम अहसास के हम बहुत बिजी हैअपनी अकड़,आदतों से वो छलनी मेरा जिगर करता हैयार इश्क़ है तुमसे,बहुत है हा सच मे यकी करो बहुत हैमैं कैसे यकीन दिलाऊ तुमको,क्या करूँ जो जादूगर करता हैमैं सुबह आवाज देता हूं तो जवाब देने मे दोपहर करता हैकारगर मेरे नर्म नाजुक दिल को तोड़कर खंडहर करता हैदीप -
जिससे हम मोहब्बत करते है वो हमको इग्नोर करता हैमाना के वो इश्क़ करता है मगर ना-बराबर करता हैहम पहले पहल कर तब जा कर गुफ़्तुगू करता है वोकैसे मान ले हमारे जज़बातों की कद्र वो बेकदर करता है दिलाता रहता है वो हरदम अहसास के हम बहुत बिजी हैअपनी अकड़,आदतों से वो छलनी मेरा जिगर करता हैयार इश्क़ है तुमसे,बहुत है हा सच मे यकी करो बहुत हैमैं कैसे यकीन दिलाऊ तुमको,क्या करूँ जो जादूगर करता हैमैं सुबह आवाज देता हूं तो जवाब देने मे दोपहर करता हैकारगर मेरे नर्म नाजुक दिल को तोड़कर खंडहर करता हैदीप
लब्जो में कैसे बया करे जो हालत है दिल के अंदर कीहलकान को प्यास लगी पड़ी है अपने यार के दीदार की -
लब्जो में कैसे बया करे जो हालत है दिल के अंदर कीहलकान को प्यास लगी पड़ी है अपने यार के दीदार की
पहले माहौल,फिर मौसम बनता है बाद बारसात होती हैलंबा वक्त लेना पड़ता है तब जा कर के मोहब्बत होती है -
पहले माहौल,फिर मौसम बनता है बाद बारसात होती हैलंबा वक्त लेना पड़ता है तब जा कर के मोहब्बत होती है
हिजरत हो जाने के बाद फिर कभी वस्ल नही करूँगामै दरिया रास्ते मे सुख जाऊंगा समंदर मे नही उतरूंगा -
हिजरत हो जाने के बाद फिर कभी वस्ल नही करूँगामै दरिया रास्ते मे सुख जाऊंगा समंदर मे नही उतरूंगा