Sandhya   (© Sandhya Maurya)
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Joined 26 July 2018


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Joined 26 July 2018
16 OCT 2024 AT 16:53

कुछ शख्सियतें न होकर भी मिसाल छोड़ जाती है।
उनकी सौम्यता, शालीनता उन्हें बेमिसाल कर जाती है।

यूँ तो होती है जहान में हर किसी को फ़िक्र अपनों की
बिन रिश्तों के भी कुछ लोग आंखें नम कर जाते हैं।

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15 SEP 2024 AT 21:10

पुरातन परंपराओं को पार करके
सभ्यताएं जब पहुँच रही थीं
परिपक्वता की ओर

गाथायें अब भी बता रहीं थी
झेला जो उसने दंश।

इतिहास के पन्नों पर अमिट है
उसकी अभिव्यंजना ।

लड़खड़ाते कदमों से लड़ रही लड़ाइयां।
समाज ने बांधी है, उसके कदमों में बेड़ियाँ ।

क्या कभी समझ पाओगे उसकी अंतरात्मा को तुम
या बस सिमट कर रह जाओगे वासना के जंजाल में।

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30 JUN 2024 AT 14:16

तराशा है, मैने कमियों को बड़ी संज़ीदगी से
कि चाह कर भी कमी को अब कमी न मिलेगी!

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27 FEB 2024 AT 21:27

ज़ज्बात जो लबों पर आए वो थम से गए ।
इक हल्की सी मुस्कान से बहुत कुछ कह गए ।

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23 FEB 2024 AT 21:37

जिंदगी में तमाम उलझने हैं
खुद को बेफ़िक्र दिखाते
ये हम किस ओर चल पड़े हैं

कहीं भूख-प्यास से बिलखते  बड़े-बच्चे
तो कहीं दुनिया में बिन बात जंग छिड़ी है

यहां सबकी अपनी रुसवाईया
सबके अपने फलसफे हैं

नुमाइश है शौक़ लोगों का
इंसान की हार-जीत पर बदलते
आज-कल हर रिश्ते हैं

मैं नही करता विरोध किसी धर्म,संप्रदाय
जाति-पात, मंदिर, मस्जिद का
पर इनसे बड़े युवा के रोज़गार के मसले हैं।

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19 FEB 2024 AT 0:24

एक किरदार है जिंदगी और कई सवाल हैं !
जवाब रब के पास है और हम सोचते बेहिसाब हैं!

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8 FEB 2024 AT 20:09

तिलिस्म है आवाज़ में उसकी
जो भी सुनता है मदहोश हो जाता है।

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31 JAN 2024 AT 20:12

यूं निस्बत में न रहिए
इक ख़ैर की आरज़ू है
गुलिस्ताँ को तव्वजो दीजिए

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12 MAR 2023 AT 18:38

Ek Muntazir jahan tha mere samne
Izhar-e-ishq hua aur mera jahan tu ho gya

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25 JAN 2023 AT 20:32

Baharhaal Ek Insan h wo
Na jane kis gumaan m h wo.
Khud ko khudaa samjhta h
Bada nadaan h wo.

Kaho Fariyad kare subah-o-sham
na kaba na kaazi na sahar ki
azaan h wo
Jo dil Paak ho to sir jhukana
Dil ko tasalli de aisa insan h wo..

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