दब जाते है कितने आवाज,
हर बार इस जहान के ,
सवालों से डर से।
वरना शायद दिल टूटने की आवाज,
भी काफी जोर से सुनाई दिया करती होंगी।-
Mohabbat to apke haq Mai bhi hai
Bas use galat saqsh me talash Krna Chor dijiy... read more
गांव छोर शहर में बसे लोग
अब शांति की तलाश करते हैं
जैसे मुरझाए हुए फूलों से
खुशबू की आश करते हैं।-
सपने कभी छुट्ते नहीं,
अगर उन्हें पूरा करने की हिम्मत हो,
वो बस कुछ पल के लिए थम से जाते हैं,
जेसे एक कस्ती बिना लहर के थम जाती है।-
सपनों की खूबसूरत चादर लिए
हर रात ही आसमान आता है
हर रात चांद सितारों को देख
यह जहान सो जाता है
जगे रह जाते हैं वह लोग
जो खुली आंखों से सपने देखा करते हैं
वरना क्या ही है
हर रात अंधेरे को देख
लगभग हर इंसान सो जाता है-
अपने मयार से नीचे आ भी जाओ ,
तो भी यकीन नहीं करेंगे हम ।
बातों से क्या ,
दिल चीर कर भी अब दिखा दो ,
फिर भी अब तुमसे मोहब्बत नहीं करेंगे हम ।
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जो लोग चार दीवारों के बीच
छत के नीचे सोते हैं ,
लोग कहते हैं खुशनसीब है वो ,
जिनके अपने घर होते हैं ।
पर क्या हो अगर ,
वह घर नहीं पिंजरा बन जाए
जिससे निकलने को
दिल हर रोज छटपटाए ।
पिंजरे से आसमान तो
साफ नजर आए।
पर उस आसमान का क्या फायदा ,
जहां वो पंछी उड़ ही ना पाए।-
कुछ दरारे दिल की कभी नहीं भरती है ,
कुछ सीलन बारिशों के बाद भी नहीं हटती है ,
कुछ तकलीफें दिल में ऐसे घर कर जाती है ,
कि वक्त पानी की तरह बहता है ,
पर वो तकलीफें हमारे साथ ही चलती है।-
अंधेरे से खौफ खाने वाली वो लड़की ,
आज अंधेरे से मोहब्बत करती है ।
रोशनी अब उसे पसंद नहीं आती ,
रोशनी अब उसकी आंखों को चुभती है ।
रातों में जागने की अब आदत लगी है उसे ,
अब वो सुबह हर रोज देर उठती है।
आंखों के काले गड्ढे भी अब आसानी से दिखाई देते हैं ,
उसके दिल का हाल उसकी आंखें कहती है ।
शायद वक्त से लड़ रही है वो,
इसलिए अब बुझी बुझी सी लगती है।-
यही दुनिया की रीत है ,
की....
फूल चाहिए तो कांटों पर चलना होगा ,
अगर जीना है तो फिर जहर भी पीना होगा ,
कुछ भी आसानी से नहीं मिलती यहां पर
संघर्षों से भारी रीत बनाई इस जग ने ।
अगर खुद को भी पाना है ,
तो सब कुछ खौना होगा ।-