Sandhya Veshkhiyar   (Sandhya)
184 Followers · 47 Following

read more
Joined 2 August 2023


read more
Joined 2 August 2023
6 HOURS AGO

गम के शौकीन है जो,
खुशियों को गले कैसे लगाएंगे।

उदासी जिनकी कविता है,
भला वो खुशियों में कैसे कुछ लिख पाएंगे।

-


20 AUG AT 20:55

इश्क.....

एक इश्क ऐसा हो !
जहां में हर रोज जी उठु ,
उसके होने पर मुझे हर रोज मरना ना पड़े ।

मुझे मिले मेरे हक का प्यार ,
उसके लिए मुझे उसी से झगड़ना ना पड़े ।

वो सही है !वो गलत है !
इस ख्याल में मुझे खुद से लड़ना ना पड़े ।

मेरी रातें सुकून से गुजरे ,
उसकी यादों में मुझे तड़पना ना पड़े ।
एक ऐसी मोहब्बत मिले मुझे ,
जिस मोहब्बत के बाद मुझे मोहब्बत से डरना ना पड़े ।

बेशक न हो वह मेरे ख्यालों वाली मोहब्बत ,
पर वो मोहब्बत ऐसी भी ना हो
कि मुझे हर रोज मरना पड़े।

-


16 AUG AT 18:51

Subh janmashtami 💙🧿✨

-


14 AUG AT 19:13

बंदिशों से लिपटी वो लड़की ,
फिके लिबास में ही मर जाएगी ।
सजने संवरने का शौख रख के क्या करेगी,
जो रखा शौख तो बदचलन कहलाएगी ।

मासूम है अभी इस जहां के लिए ,
दुनिया की कड़वी बातें कहां ही सह पाएंगी ।

राज दुलारी है वो तब तक अपनों की ,
जब तक वो सब की बातें मानती आएगी ।
जिस दिन जीना चाहा उसने खुद के लिए ,
लाचार वो लड़की घर के लिए कलंक बन जाएगी।

-


11 AUG AT 18:56

घर ले चल ऐ मुझे मेरे साथी ,
कि ये दिल बंजारा नहीं है ।
भटके जो ये सौ ख्यालों में ,
ये दिल वक्त का मारा नहीं है ।
जानती हूं बेचैनी से घीरा अरसो तक,
पर सच कहूं तो ,
ये दिल अभी तक हारा नहीं है।

-


10 AUG AT 18:53

जब लगे की एक-एक वक्त काटने को आती है,
जब घड़ी की सुइयां थम जाती है ,
जब ये रात गुजर नहीं पाती है ,
जब कोई बेचैनी किसी को अंदर तक खाती है ।

तभी दिल सुकून की तलाश करता है ,
तलाश करता है
कि वक्त जल्दी गुजर जाए ,
वो जो रात थम गई है
उसकी सुबह हो जाए ।
रुकी हुई सुइयां घड़ीयों की ,
अपनी तेजी पर चलने लग जाए ,
वो जो खयाल दुश्मन बने हैं नींद के,
वो ख्याल बस रुक जाए।

बस लगता है !
जो भी हो रहा है वो खत्म हो जाए ।

-


6 AUG AT 21:23

ना उम्मीदी मेरी तुझसे,
इस बात का सबुत है ,
कि तू मुझे हार गया है ,
या मेरी मोहब्बत हार गई है ।
तमासा बना खूब मेरे जज्बातो का ,
की इस बार लफ्ज तेरे खंजर थे ,
तो शीने के पार गई है ।

-


2 AUG AT 19:23

तुझसे इश्क का हिसाब
कुछ ऐसा है ,
की इस दिल पर अब कोई जोर नहीं है ।
तू गले लगा ले
अगर जो प्यार से ,
तो मेरे मेहबूब
इस दिल के अंदर फिर कोई शोर नहीं है।
सुकून की तलाश में
आखिरी हद हो तुम,
जिस तलाश के बाद
इस जहां का कोई छोर नहीं है।

-


29 JUL AT 21:28

हिज्र की रात थी वो,
महबूब की यादों ने उसे पूरी रात रुलाया था ।
वो रात आज भी उसकी आंखों से गुजरी नहीं है ,
मोहब्बत ने उसे खूब सताया था ।

-


29 JUL AT 20:49

हर चेहरे की यहां अपनी कहानी है ,
कोई कह कर सुनाता है ,
कोई बस पन्ने भरता जाता है ।

किसी की आंखों में नमी होती है ,
कोई आंखों में नमी लिए भी मुस्कुराता है।
कोई घाव अपने शौक से दिखाता है ,
और कोई अपने घाव को दुनिया से छुपाता है ।

दुख बयां करने के सबके अलग तरीके हैं यहां,
कोई रोता है गम में ,
तो कोई यहां गम में सिर्फ मुस्कुराता है।

-


Fetching Sandhya Veshkhiyar Quotes