Sandhya Singh Verma   (संध्या)
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सब खत्म हो जाय एक प्रेम के सिवाय .....
Joined 27 October 2018


सब खत्म हो जाय एक प्रेम के सिवाय .....
Joined 27 October 2018
6 OCT 2022 AT 11:44

तुम्हारे प्रेम में होना ...!

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6 OCT 2022 AT 10:02

तुम चाह कर भी
मेरे जितना असभ्य नहीं हो सकते !
(न ही सभ्य )

क्योंकि तुम पुरुष हो !

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3 OCT 2022 AT 23:42

इतने दूर रहें !

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3 OCT 2022 AT 11:28

साथ तुम हो !

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23 JAN 2022 AT 23:06

अनमोल है ..!

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23 JAN 2022 AT 11:30

Lots of fragrance...!

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22 JAN 2022 AT 20:30

तुम्हारी खुशबू
हर कहीं ....!

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21 JAN 2022 AT 23:10

दूर की तन्हाई पास नजर आयी ..!

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27 MAY 2021 AT 22:07

জানালার ওপারে
কিছু গান গুন গুন করে
দেখা দেয় শিশিরের বিন্দু র মতো
ধরা দেয় না
ধরতে গেলে
নিমেষের মধ্যে মিলিয়ে যায়
বাতাসে বাতাসে ভেসে বেড়ায়

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15 SEP 2019 AT 22:56

वो मोहरें बिछाएंँ बैठीं थीं
हमारे इंतजार में... !
उनकी निगाहों ने बस एक ही चाल चली....!
और हम ....!
बाजी शुरू होने से पहले ही
हार गए..!

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