तुम्हारे प्रेम में होना ...!
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Sandhya Singh Verma
(संध्या)
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सब खत्म हो जाय एक प्रेम के सिवाय .....
Joined 27 October 2018
6 OCT 2022 AT 10:02
तुम चाह कर भी
मेरे जितना असभ्य नहीं हो सकते !
(न ही सभ्य )
क्योंकि तुम पुरुष हो !-
27 MAY 2021 AT 22:07
জানালার ওপারে
কিছু গান গুন গুন করে
দেখা দেয় শিশিরের বিন্দু র মতো
ধরা দেয় না
ধরতে গেলে
নিমেষের মধ্যে মিলিয়ে যায়
বাতাসে বাতাসে ভেসে বেড়ায়
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15 SEP 2019 AT 22:56
वो मोहरें बिछाएंँ बैठीं थीं
हमारे इंतजार में... !
उनकी निगाहों ने बस एक ही चाल चली....!
और हम ....!
बाजी शुरू होने से पहले ही
हार गए..!
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