आशिक़ की इतराती आँखें बयाँ करतीं ,
कि हुस्न ,
मनाने की अदाकारी मे है !!
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सुनहरी गुड़िया समझ कर, नोचने की भूल ना कर
खिलखिलाती मैना के पर , काटने की भूल ना कर
गरदिश-ए-ज़माने के तलातुम के शागिर्द हैं हम
ख़ौफ़ के तराज़ू में हमें, तौलने की भूल ना कर !!
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ज़बरदस्ती नाम दिए रिश्ते के बोझ तले दबने से, कहीं बेहतर है खुले मन से बे-नाम रिश्ता निभाना !!
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आसाँ न थी वफ़ा, जो मीरा अकेले निभाई
इक नाम भाल पर, तो दूजा लबों पे सजाई।
-संध्या
भाल : भौहों के ऊपर का भाग जो भाग्य का स्थान माना गया है, माथा-
चमकती लुभाती कहानी सुनाती
सुहानी नयी ज़िन्दगानी सुनाती
उदासी में अपनी, हसीना मुसलसल
पुरानी बीती वो जवानी सुनाती-
यह काम जो हमारा था,
वह वो चितचोर कर गया...
फाँस के अपनी पलकों में,
हमारा दिल हर गया ...!!
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Love is
Holding your younger brother closely and tightly till eternity.-
आंसू...!!
जब-जब मेरी आँखों से आंसू गिरते ,
मेरे अंदर छुपी ताकत को बयाँ करते।
कभी मेरे हाल-ए-दिल की जुबाँ कहते।
कभी-कभी बेसबब बहते।
तो कभी ये खारे पानी सुन्न पड़े दिमाग पर लेप करते ।
यूँ तो मेरे रोने को कई पहलु मिले ,
किसी ने जज़्बाती ,
किसी ने बेबसी ,
किसी ने व्यापारी ,
तो किसी ने बस नुमाइश समझा ।
पर मोल लगाने वाले क्या जानें ,
कि रोना मेरी कमज़ोरी नहीं ,
बल्कि मेरे पहले साहस की कहानी है ।
कि जब मेरी इस दुनिया में जीने की बारी आयी ,
मैं रोते ही सांस लेने की हिम्मत कर पायी ।
जब-जब मेरी आँखों से आंसू गिरते
मेरे अंदर छुपी ताकत को बयाँ करते ।
-संध्या
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Relief is
When younger brother does your share of household chores while you were busy doing nothing.-
इतनी कड़वाहट जाने कहाँ से लाते ये लोग ?,
हमें तो रहीम की सेवईं खाने से फुर्सत नहीं ।-