सारी रात बैठ चाँद से गुफ़्तगू चली
इस बीच मैंने एक सवाल किया
"तुम रोज़ बदल क्यूँ जाते हो
कभी पूरे तो कभी आधे हो जाते हो?"
इस पर जवाब मिला
"पानी एक जगह ठहर जाए, तो खराब हो जाता है
इश्क़ रोज़ एक सा हो, तो आम हो जाता है
बरकरार रखने को वो एहसास,वो मिठास
मिलता हूँ मैं चाँदनी से रोज़ थोड़ा-थोड़ा
इस तरह समझ
एक दूजे की दूरियों-नज़दीकियों को
हमारा प्यार बन्दिशों के पार हो जाता है"
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