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पर्दे पर हुए थे रूबरू, अब सिर्फ पर्दे पर ही मुलाक़ात होगी
हक़ीक़त में मिलने की ख़्वाहिश अब कहाँ साकार होगी
लोग कितना ही कहें कि तुम चले गए छोड़ कर पर
तुम थे, तुम हो, तुम रहोगे ये बात ज़हन में हमेशा बरकरार रहेगी-
आँखों में नमीं थी
दिल की दीवार पर
यादों की इक पपड़ी सी जमी थी
जिसे छुपाने को
मुस्कुराहट का पेंट करवा लिया
टाँग कर एक खुशगर चेहरे की तसवीर
सब फर्स्टक्लास सजा दिया-
Ishq karte ho
Btao na
Apna bhi kuch haq
Jatao na
Rooth jau jo tumse
Aakr tum manao na
Dur karu jo khudko tumse
Tum tb b gale lagao na
Nhi chahiye uphar koi
Tum khud hi milne chle aao na
Likh kr ki thi jo b baatein
Unhe khud se tum sunao na
Rakh kr kandhe p haath mere
Koi geet tum gungunao na
Nhi pta ye saath kbtk rhega
Jb tk h nibhao na
Ishq karte ho
Btao na
Apna bhi kuch haq
Jatao na-
जैसे प्रभु राम के नाम भर से तैरने लगे थे पत्थर
और जोड़कर बन गया था पुल
वैसे ही तुम्हारे नाम भर से
तैरते है शब्द
जिन्हें जोड़कर बनती है कविता
कविता और पुल दोनों साक्षी हैं
प्रेम के, विलाप के
तप के, मिलाप के!
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Everyone is broken here,
filling some other's crack.
May be one day
we all will heal
And turn this place
into a beautiful
'masterpiece.'-
सारी रात बैठ चाँद से गुफ़्तगू चली
इस बीच मैंने एक सवाल किया
"तुम रोज़ बदल क्यूँ जाते हो
कभी पूरे तो कभी आधे हो जाते हो?"
इस पर जवाब मिला
"पानी एक जगह ठहर जाए, तो खराब हो जाता है
इश्क़ रोज़ एक सा हो, तो आम हो जाता है
बरकरार रखने को वो एहसास,वो मिठास
मिलता हूँ मैं चाँदनी से रोज़ थोड़ा-थोड़ा
इस तरह समझ
एक दूजे की दूरियों-नज़दीकियों को
हमारा प्यार बन्दिशों के पार हो जाता है"-
शिशु एक बीज की तरह है
जिसे परिवार की क्यारी में बो दिया जाता है
माता-पिता अपने स्नेह और संस्कारों से उसे सींचते है
इस उम्मीद से कि
एक दिन वह वृक्ष बनेगा
जो सबको अपनी छाँव में आराम देगा
संगत एक खाद का काम करती है
जो अच्छी हो तो वृक्ष फलदायक हो जाता है
खराब हो जाए तो पेड़ बनने से पहले ही पौधा सूख सा जाता है
और एक अहम भाग निभाता है अध्यापक
जो सूरज की तरह
ज्ञान परोसता है
ताकि वृक्ष भली भाँति फल फूल सके
अपने उद्देश्य को पूरा कर सके।-
ऐसा कब तक चलेगा?
कपड़ा इंसान का धर्म बताएगा
'जनेऊ से हिन्दू, टोपी से मुस्लिम
और पगड़ी से सिख कहलाएगा'
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