Sandhya Mishra   (Sandhya Mishra)
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MBBS student @GSVM MEDICAL COLLEGE
Joined 24 April 2018


MBBS student @GSVM MEDICAL COLLEGE
Joined 24 April 2018
1 JAN AT 11:07

ऐ ख़ुदा, इस साल ऐसा मोजज़ा हो जाये
जो मेरा नहीं है, वो भी मुझको अता हो जाये


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28 FEB 2023 AT 9:46

क़तरा देकर मुझको
मुझसे समंदर छीना

उसी शहर ने लूटा
जिसे घर माना मैंने

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20 FEB 2023 AT 8:04

हाँ!कमजोर हूँ शायद
हालात से लड़ना मुझे नहीं आता
हर चोट कुरेदती है घाव पुराने
पुराने घाव भरना मुझे नहीं आता

वही बेचैन रातें,
उजाले से वही डर जाना
कल आसान हो शायद की उम्मीद में
महीनों गुजर जाना

हादसा नया है पर दर्द पुराना
इसलिए वाक़िफ़ हूँ
बस इस दर्द से बचना मुझे नहीं आता



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20 FEB 2023 AT 7:55



ना चाह है किसी मंजिल की
न किसी सफर पर निकलना है मुझे
नहीं लिखना कोई इतिहास नया
ना कहानी का अंत बदलना है मुझे

मुझे नहीं बनाना कोई रास्ता अपना
बने बनाये रास्तों पर चलना है मुझे
अब उठ कर दौड़ने का हौसला नहीं है
बस दोबारा न गिरूँ इतना ही सम्भलना है मुझे

क्योंकि मैं डरती हूँ किसी और को खो देने से
किसी अपने के दोबारा दूर होने से
डरती हूँ कि सफ़र में काँटो के सिवा
कुछ मिलेगा नहीं
जिस कल्पवृक्ष की तलाश है मुझे
उस पर फूल कभी खिलेगा नहीं

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12 SEP 2022 AT 11:52

सब कहते हैं, मुझे "बहर" में लिखना नहीं आता

सच है, मुझे "दायरों" में बँधना नहीं आता

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12 SEP 2022 AT 11:38

मैं झूठी कसमें, झूठे वादें सब समझती हूँ
तुम्हारी फितरत से बिल्कुल अनजान नही हूँ

फिर भी कर लेती हूँ ऐतबार तुम्हारा
क्योंकि मासूम हूँ शायद, पर नादान नहीं हूँ

और गुस्सा जिद सनक बहुत सी कमियाँ हैं
किरदार में मेरे, पर तुम्हारी तरह अय्यार नही हूँ

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23 AUG 2022 AT 21:45


तू राख है या आग है, दुनिया को एहसास होगा

खुद लिखेगी प्रारब्ध तेरा, सच तेरा हर 'काश' होगा

सर झुका के अनवरत, बस यूँ ही चलती तू जा

कल तेरे कदमों के नीचे, पूरा ये आकाश होगा

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22 AUG 2022 AT 20:30

मुक़म्मल ख्वाब सब उनके
चाहतें उनकी ही पूरी हैं

जो समझते, हौसला पहली ही सीढ़ी है
और कोशिशें बिना ज़िद के अधूरी हैं

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15 AUG 2022 AT 4:36

टुकड़ों में जीनी पड़ती है ज़िन्दगी हमें
हम जैसों के हिस्से कोई इतवार नहीं होता

वो आप अक्सर पूछते हैं ना,आगे क्या?
इसका जवाब हमारे पास हर बार नहीं होता

हाँ! सुनने में अटपटा लगता है बहुतों को
बहुत से ऐसे हैं जिन्हें विश्वास नहीं होता

पर कमरों में लिखा जाता है कल, सच है
घर बैठा हर शख्स "बेरोजगार" नहीं होता

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15 AUG 2022 AT 4:30

न पंख नापे, न मेरे हौसले पर ऐतबार किया

आसमान देखा और हमें हारा हुआ करार किया

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