इस तिमिरमय पथ पर,
जो घड़ी भर तुम,जुगनू बन ठहर गए होते..तो यकीनन संवर गए होते....
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इश्क का इज़हार कुछ इस कदर किया उसने
अपनी नज्मों में यकायक "तुम 💙" पुकारा उसने
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तेरे इश्क़ से लबरेज़ ये दिल
के तबाह कर लिया खातिर तेरी
ख़ुद को ये बात अब कैसे समझाएं तुझको...-
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हे! मेरे राम
जो तुम लौट आए हो
तो लौटा लाना
जनकनंदिनी का मान
हर स्त्री का सम्मान
राम तुम चरित्र में उतरना
मन को सुंदर करना
व्यक्तित्व में सादगी भरना
हे मर्यादा पुरुषोत्तम!
अबकी जो लौटे हो
तो
तप, त्याग, प्रेम बनकर
जीवन में उतरना।
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आओ किसी दिन 'पाबन्दियों' में मिलें हम. किसी 'मेले' या 'नुमाइश' में तुम अपने परिवार के साथ आ जाओ, अपने घर वालों के साथ मैं भी वहां आती हूँ. केवल आँखों-आँखों से मुलाकात करें हम. तुम नज़रें बचाकर देखो मुझे, मैं भी मुस्कुरा कर दूर से जवाब दूँ. तुम्हारा मन न लगे किसी खरीदारी में, और.. मैं भी बस यूँ ही कुछ खरीदने का दिखावा करूँ. आँख से ओझल हो जाऊं, तो.. तुम मुझे खोजते से दिखो. मैं भी इस फ़िक्र में पडूं कि.. बहुत देर हुई तुमने पलट के देखा क्यूँ नहीं ? आओ किसी दिन यही सब करते हुए इक दूजे से बगैर मिले वहां से तड़प कर विदा हो जाएं हम.
इश्क़ बेमज़ा है बगैर 'दुश्वारियों' के. आओ किसी दिन हम इक दूसरे से 'पाबन्दियों' में मिल के देखते हैं.-
ख़ुद को संभालते संभालते जब हौसला पस्त होने लगे .. दिल करता है .. लिपट जाऊँ तुमसे और कुछ भी ना कहूँ .. जो कहे मेरी आँखें कहे .. जो सुने तुम्हारी धड़कने सुने .. !!
-मैं कुछ यूँ भी तुम्हारी होना चाहती हूँ .. 💕-
ए दिसंबर : फिर ही तुम जाना
सुनो दिसंबर!
जाने से पहले
एक आवाज लगा जाना
फैला देना
हर्ष- विनोद की लहर...!
जोड़ देना
रंगीन ख़यालात
कर देना मेरा गठबंधन
नए साल के साथ
हो जाए ताकि
ताज़ा ख्वाहिशों की फुहार...!
स्पर्श करते हुए
अनुभव के स्तंभ को
हो जाना निकट
आत्मिक रूप से
सजाकर जगमग
जिंदगी का आशियाना कर जाना...!
आशीर्वाद की कुंजी दे जाना
खुशियों के आँचल में
जल जाएँ जब
प्रेम और विश्वास के दीये
ए दिसंबर! फिर ही तुम जाना...!
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जब जब कुछ छूटता है... मन पर एक लकीर खिंच जाती है.... ऐसी लकीर जिसके दोनों ओर दूर तक कुछ नहीं होता.....
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उसके प्रेम के भी हम हमेशा कर्जदार रहेंगे जिसने यह जानते हुए भी प्रेम किया कि हम उसके हिस्से मे कभी लिखे नहीं जाएंगे।
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जाहिल सी वो लड़की समझती भी है...
महसूस भी करती हैअल्हड़ है मासूम है
मगर संजीदा भी कुछ भी खोने से डरती
इसलिए नही कर पातीइज़हार बगावत करना
चाहती हैं मगर डरती हैं कही खो न दे वो
अपना प्यार...
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