Sandhya Bakshi   (Sandhya)
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Joined 20 September 2017


Joined 20 September 2017
24 JUL 2019 AT 22:39

.........
श्यामपट्ट पर लिखी कोई ,
वैज्ञानिक विधि है !!
न समझो तो .............
असंख्य तारागण के मध्य ,
मात्र , कलानिधि है !!

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6 JUL 2019 AT 21:59

आज भी , प्रतीक्षा की लौ जलती है ।
आज भी ,फांस सी गले में खलती है ,
तेरा मुँह, मोड़ कर चले जाना मुझसे -
आज भी कल की सी बात लगती है ।।

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1 JUL 2019 AT 15:05

वो दिन नहीं रहे अब ,
.....जब तेरा अक्स दिखाई देता था हर सूँ

ये चाँद ,संगेमरमर की गोल मेज़ ,होता था
कुर्सियाँ डाल कर, बैठते थे ,हम तुम रुबरू

सुर्ख स्याही से ,संग संग लिखते थे  इबारतें
हर्फ़ होते थे लहू मेरा ,हर नज़्म तेरी गुफ़्तगू

तेरे  ख्वाब जब ,ढलते थे ,ग़ज़लों में हमारी
इत्र सा बिखर जाता था  ,उड़ती थी खुशबू

अब चाँद तो उतरता है ,बेनूर स्याह रातों में
शमा सी जलती,'संध्या" लेकर  तेरी आरज़ू

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13 JUN 2019 AT 21:23

उम्र कम पड़ जाती है ,
विश्वास की फसल उगाने को ।
इक लम्हा ही ,काफी है,
शक से ,समूल उजड़ जाने को ।।

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11 JUN 2019 AT 18:46

स्याही ने सोख लिये ,कुछ गम मेरे ,
गुलाबी कागजों में, नमी आ गई ।
थोड़ा सा ,कलम ने बांटा ,दर्द मेरा ,
बेनियाज़ ,आँसुओं में कमी आ गई ।।

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1 JUN 2019 AT 15:33

गंगा में बहा दिये, सभी प्रत्यक्ष और परोक्ष
पूछताछ भी गौण हुई ,पा लिया हमने मोक्ष

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31 MAY 2019 AT 16:12

...कि फूलों में रंग किसने भरे ?
रंगों में सुगंध किसने डुबोई ?
प्रकृति में नैसर्गिकता कहाँ से आई ?
सोचना छोड़ कर, कर लो कविताई !
रंग इंद्रधनुष के हैं , छंद की सुगंध है !
इस सोच के आगे ,सृजन का प्रबंध है !

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6 MAY 2019 AT 18:40

गर्मी का वो आलम है.....

.... कि सेहरा की रेत सी तप रही ज़िंदगी मेरी ,
हर्फ़ , संगेसुर्ख से , वरक़ो पर सिकने लगे ।
लू के गर्म थपेड़ों ने ,लब ख़ुश्क कर ,सी दीये ,
हम बेकस , कुछ कह न सके ,तो लिखने लगे ।।

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12 APR 2019 AT 18:40


सुर्ख स्याही से खत ,आज लिख दूँ ।
छिपाया अब तक वो राज़ लिख दूँ ?

शेफ्तगी न समझिये, मोहब्बत मेरी ।
संजीदा इश्क़ का ,आगाज़ लिख दूँ ?

गरज आशना हो कर ,नज़रें चुराना ।
ज़माने का ख़फ़ीफ रिवाज़ लिख दूँ ?

सखुनदाँ करें हौसलाअफजाई अगर ।
नाम 'संध्या' संग ,सखुनसाज़ लिख दूँ ?

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7 APR 2019 AT 19:23

राज़ दफ़न एक, खोलेंगे ,जब तुम मिलोगे
दो घड़ी तुम्हारे, हो लेंगे , जब तुम मिलोगे
शिद्दत से ,इंतज़ार किया ,दिल ए बेकस ने
शनों पर सर रख रो लेंगे, जब तुम मिलोगे

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