अकेले बहुत खुश है हम , हमें बिलकुल परेशान ना करे…
गुज़ारिश है आप अपना देखे , हम पर कोई एहसान ना करे…-
ना नर में कोई राम बचा , ना नारी में कोई सीता है…
इस कलियुग में हर कोई , रावण बनकर जीता है…-
माना कि चुप्पियों का दौर है साहेब , और ये हम सब मानते है…
लेकिन चुप्पियाँ कितना शोर मचाती है ,ये बहुत कम लोग जानते है...-
क़ाफ़िला ये ज़िंदगी का , बड़ा सोच समझकर चलाना पड़ता है…
सिर्फ़ भोंकने से कुछ नहीं होता, यहाँ कुछ कर के दिखाना पड़ता है…-
मन के अंदर जो ख़ाली स्थान जब ना भर सके,
तो इंसान काफ़ी खोखला हो जाता है…
उस ख़ाली स्थान को भरने के लिए,
हमेशा लिखता रहूँगा मैं…
पता है मुझे की ये शब्द नहीं भर सकेंगे,
कभी भी मेरे मन का ख़ाली पन…
लेकिन हमेशा उठती रहेगी मेरी ये प्यास,
जो शायद कभी भी मिट ना सकेगी…
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आख़िरी पन्ना भी ज़िंदगी का ख़ाली छोड दिया हमने…
अब हर किसी से मिलने का भी इरादा छोड दिया हमने…-
ये फ़रवरी का महीना ,ये मोहब्बत का हफ़्ता, सिर्फ़ अय्याशी है साहेब…..
सच्ची मोहब्बत कभी , महीने और तारीख़ों की मोहताज नहीं होती…..-
घायल इतना हो चुका हूँ मैं , कि अब लोगों से नहीं मिलता…
तुम आओ तो बस रूह लाना , कि अब जिस्मों से मैं नहीं मिलता...-
एक अच्छाई है मुझमें , चुप रहने की...
एक बुराई है मुझमें , सब सुना देने कीं...-