Sandeep Joshi   (words_define_emotion)
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Joined 15 November 2016


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Joined 15 November 2016
26 AUG 2017 AT 2:24

सपना तो था उस बर्फ़ में एक दूजे की बाहों में गर्मी बाँट लेंगे,
पर दूरियों में बट कर बस ठिठुरना पड़ा,
सपनों ने हक़ीक़त से बगावत जो की थी,
हक़ीक़त से टकरा इस सपने को टूटना पड़ा।

फिर भी चलो जी रहे हैं,
देखो कब तक ये जिंदगी सपने तोड़ेगी ,
मेरे लिए तो वो सपने हमेशा हक़ीक़त ही रहेंगे,
देखता हूँ ए-जिंदगी मेरी हक़ीक़त से तू कब तक मुंह मोड़ेगी।

✍️Sandeep Joshi✍️

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6 APR 2021 AT 17:11

जिंदगी तो सबको दबाती है,
कुछ बीज बन कर पेड़ बन जाते हैं,
कुछ खाद बन कर दूसरों को उगाते हैं,
और जो दबे रह जाये वो बस लाश बन जाते हैं।

-Sandeep Joshi

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28 DEC 2020 AT 3:26

आँखों में नींद भरी पर दिल में बेचैनी है,
शायद इस सर को माँ की गोद की कमी है।

-Sandeep Joshi

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14 NOV 2020 AT 18:42

Bandishon mei ghira jaane kaisa ye safar hai,
Ek mei aur ek mei bas hum he humsafar hain.

-Sandeep Joshi

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15 SEP 2020 AT 14:53

Apne pahad ki baat he kuch aur hoti hai

-Sandeep Joshi

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18 JUL 2020 AT 20:26

Sone se bhara ghar chor sona dhundne nikle the shehar,
Ab zang laga loha bane bhatak rhe hai bekhabar.

-Sandeep Joshi

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26 APR 2020 AT 0:04

Lockdown -

कुछ परम ज्ञानी देर रात घर से बाहर निकल कर
घूम रहे हैं,
उनको एक secret बताना था।

Corona रात में नहीं सोता।

-Josi ji

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24 APR 2020 AT 15:21

Lockdown -

आज कल police से पिटने का डर कम
और अपने meme बनने का ज़्यादा लगता है।

-Josi ji

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23 APR 2020 AT 23:53

अपने बच्चों को पहले ही बोल दूंगा कि साल 2120
में अपनी दारु का स्टॉक पहले ही भर कर रख लेना।

-Josi ji

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23 APR 2020 AT 19:49

Work from home के चक्कर में कभी-कभी डर लगता है
की बाद में कही office कच्छे में ही ना चाला जाऊँ। 😅

-Josi ji

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