,,,,,,,,,,,,समय,,,,,,,,,
बच्चे था जब सच्चे था
जवानी हुई पकिजा ।।
हुस्न की यादो में अब
डुब रहा बच्चा बच्चा।।
आज बिताया प्रेम मे
अपनी भरी जवानी।
कल बिताउ मै इसे
यादो से भरी जवानी।
परसो लिखता मै इसे
सासे पुर्न खत्म कहानी।।
समय बित गया मेरा
हर रोज के चरचो मे
आए थे हम क्यु यहाँ
समझ न पाए वर्षों मे।।
गोपी गौरी पार्वती जाने
प्रेम की सहज कहानी।
हम आपस में झगडते
कैसे समझे प्रेम दिवाना।।
समय का ऐसा नाता है
जैसा करे जो वैसा पाता है।
-