बढना है चढना है उन राहों पर चलना है ,राहों के काँटो से पीछे न जाना है । वक्त से कदम ताल करना है ,नई राह बनाना है न रुकना न थमना हमें मंजिल तक जाना है ,थाम के दामन अपनो का तुझे नये पन्ने लिखते जाना है ।।
¶ कुछ भींगे अल्फाज ¶ मैंने उसे देखा ,उसका तो पता नहीं मैंने उसे चाहा ,उसका तो पता नहीं अभी तो इश्क को जाना है ,उसकी गहराई को नहीं और तू तो मेरे इश्क का समुंदर है जनाब , जिसकी गहराई की कोई माप नहीं ।
हम तो उनकी परछाई बनना चाहते थे लेकिन पता नही कहाँ इस घोर अँधेरे मे गुम हो गये , हम तो उनको अपनी जिंदगी बनाना चाहते थे लेकिन वो तो उजाले को ही अपना आशियाना बना बैठे ।
तू आई तो मेरी जिन्दगी मे वे मौसम बारिश सी , जो कब चली गयी पता ही नही ,और दे गयी दो लम्हों की खुशी और कुछ हसीन यादें , वो बारिश से भीगी यादें , याद तो आती ही है , पर वो यादें ही तो हैं ,कोई सपना ही तो हैं ,कोई सच नहीं ।