मेरे गम मुझसे पूछा करते हैं...
घर में पंखा है तो रस्सी भी होगी....🙂-
अंजन माहि निरंजन भेटया, तिलमुख भेटया मेल।
मूरत माहि अमूरत परस्या, भया निरन्तर खेल।।
जय नाथां गी-
हर किसी को पसन्द आ जाऊं ,
मैं ऐसा हरगिज़ नही बनाया गया हूं
अपनाया तो नही गया हूँ इतना
लेकिन आज़माया बहुत गया हूं।— % &-
वो एक लड़का जो सबको
अक्सर हंसाता रहता था,
आज उसे अकेले में रोते हुए
किसी को बद्दुआ देते देखा।-
मैं तो अभी तक तुम्हे
ढंग से समझ ही ना पाया
और एक तुमने बहुत
जल्दी मुझे गलत समझ लिया-
दर्द और गम अब कोई नही दे सकता मुझे
क्योंकि मजबूत दीवार कहाँ से कमजोर थी
ये राज़ सिर्फ अपनों को पता था,
और अपने, अब अपने ही नही रहे
बैगानों से मुझे घण्टा फर्क नही पड़ता।-
कि मैं भी उससे उतनी ही
शिक़ायत करू जितनी वो
मुझसे नफरत करने लगी है-
हरे भरे बरगदों के पत्ते भी यहाँ
एक न एक दिन गिरने लगते हैं,
और ये मैं पहले भी कह चुका हूं
कि लोग मुझसे प्यार करते करते
अक्सर नफरत करने लगते हैं।-
एक वो शख्स है जिसके दिल मे
हमारे लिए नफ़रत भरी हुई है,
एक हम हैं जिसके दिल में
उसके लिए प्यार कम न हुआ।-