Sandeep verma   (सन्दीप वर्मा)
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Chai lover,
Joined 15 May 2020


Chai lover,
Joined 15 May 2020
12 JAN 2024 AT 23:52

मेरे गम मुझसे पूछा करते हैं...
घर में पंखा है तो रस्सी भी होगी....🙂

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26 JUL 2022 AT 20:40

अंजन माहि निरंजन भेटया, तिलमुख भेटया मेल।
मूरत माहि अमूरत परस्या, भया निरन्तर खेल।।
जय नाथां गी

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26 JAN 2022 AT 8:04

हर किसी को पसन्द आ जाऊं ,
मैं ऐसा हरगिज़ नही बनाया गया हूं
अपनाया तो नही गया हूँ इतना
लेकिन आज़माया बहुत गया हूं।— % &

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30 DEC 2021 AT 11:57

ख्वाब , ख्वाहिशें ,
उम्मीद और लोग
कम ही हो तो बेहतर है।

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18 DEC 2021 AT 19:57

वो एक लड़का जो सबको
अक्सर हंसाता रहता था,
आज उसे अकेले में रोते हुए
किसी को बद्दुआ देते देखा।

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11 DEC 2021 AT 21:43

मैं तो अभी तक तुम्हे
ढंग से समझ ही ना पाया
और एक तुमने बहुत
जल्दी मुझे गलत समझ लिया

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11 DEC 2021 AT 8:06

दर्द और गम अब कोई नही दे सकता मुझे
क्योंकि मजबूत दीवार कहाँ से कमजोर थी
ये राज़ सिर्फ अपनों को पता था,
और अपने, अब अपने ही नही रहे
बैगानों से मुझे घण्टा फर्क नही पड़ता।

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10 DEC 2021 AT 18:48

कि मैं भी उससे उतनी ही
शिक़ायत करू जितनी वो
मुझसे नफरत करने लगी है

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10 DEC 2021 AT 18:45

हरे भरे बरगदों के पत्ते भी यहाँ
एक न एक दिन गिरने लगते हैं,
और ये मैं पहले भी कह चुका हूं
कि लोग मुझसे प्यार करते करते
अक्सर नफरत करने लगते हैं।

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10 DEC 2021 AT 18:36

एक वो शख्स है जिसके दिल मे
हमारे लिए नफ़रत भरी हुई है,
एक हम हैं जिसके दिल में
उसके लिए प्यार कम न हुआ।

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