Sandeep Sindhwal sandy   (संदीप सिंधवाल)
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I am a chef
Joined 10 February 2020


I am a chef
Joined 10 February 2020
7 JAN 2023 AT 17:14

सफरनामा गजल
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जिंदगी के बाद अपना होता कौन है
चिता जलने के बाद रोता कौन है ।

फसल सबको खरी चाहिए हर बार
मेहनत के अच्छे बीज बोता कौन है।

बस पैंसा कमाने की दौड़ है जिंदगी
एक बार जो मिला फिर सोता कौन है।

दूसरों में कमियां ही कमियां दिखती है
अपने अंदर के पापों को धोता कौन है।

मेरी आवाजें निकलता है रह रह कर
मेरे ऊंचे छत पर बैठा तोता कौन है।

कर्मों से मुक्कदर खुद बनाया है मैने
सजा देने वाला कोई होता कौन है।

ये दिल्लगी भी स्वार्थी ही है 'सिंधवाल'
मतलब पे अपने को छोड़ता कौन है।

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4 JAN 2023 AT 14:22

किधर किधर फिरता फिरूं
तेरा खाया दिल में आता है
और जाता है ये तो पता नहीं।

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3 JUL 2022 AT 10:04

मैं कुछ ही कदम दूर चला था यारों
पीछे मुड़ा तो जशन शुरू हो चला।

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18 NOV 2021 AT 17:54

बस एक भूखे पेट का सवाल है
बेगारी भी सियासी हो चली अब।

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18 NOV 2021 AT 17:49

मेरे हाथों एक बड़ी खान लगी
आजकल खाना कम खाता हूं।

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18 NOV 2021 AT 9:41

किसी के लिए मरना जरूरी नहीं
किसी के लिए जीना बड़ी बात है।

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18 NOV 2021 AT 9:40

सही समय पर
सही फैसले लेने की
ताकत संचित रहनी चाहिए
और हां
"उनका" काम तो
सिर्फ बातें बनाने का है।

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18 NOV 2021 AT 9:36

मन प्यासा तो रहेगा
इसका मतलब ये नही कि
सारा रस एक बार ही पिया जाए।

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18 NOV 2021 AT 9:33

मैले हाथों पर
साफ परत चढ़ाना।

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18 NOV 2021 AT 9:31

अब चल जिंदगी
अंधेरा बहुत हो चला।

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