कुछ जानते थे, कुछ को मैने शौख से बता दिया, बड़ी फुर्सत में बैठे थे उस रोज़, उसने लबों पे रकीब को ला दिया, वो नाम सुन,नजरे फ़ेर, मै मुस्करा दिया, कमबख्त उसने भी तहज़ीब से मासूमियत का फायदा उठा लिया....
सुनो तुम मेरे ख़यालों (रातों) में ही मसरूफ़ रहना, हकीक़त (उजाले) में ये दुनिया बहोत ज़ालिम हैं..... तुम, मैं और वो, की कशमकश ख़्यालों में तो नहीं, पर इस ज़मी पर, बेवफ़ाई की हवा से हर कोई वाकिफ़ हैं.....
यादे बिखेर कर ये साल भी निकल गया, किसी के लिए बुरा था, तो किसी के लिए अच्छा गुजर गया, फिर से नए कैलेंडर का शुरुआत होगा, यादों की बुनियाद होगा, झूठा ही सही नया शुरुआत होगा, नया है..नये में कुछ तो बात होगा...
देखा हु कई बार पहचान नहीं पाया हूँ, हर बार आँखें खोलने के बाद 'उसे' सम्भाल नहीं पाया हूँ !! उससे मिला नहीं अबतक,जाने कहां वो भी गुमनाम है, मैं बना हु उसके लिए, लगता है वो भी इससे अनजान है !!
कल मेरी मुस्कुराहट की शाम ढल जाएगी... वो कॉलेज तो रहेगा... पर 'मेरी मुस्कान ' ❤️ उस रास्ते नहीं आएगी... इन्तजार तो रहेगा... लेकिन मेरे सामने से गुज़र नहीं पाएगी....