Sandeep Sharma  
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Joined 30 May 2020


Joined 30 May 2020
28 DEC 2021 AT 13:18

जाने किस को पसंद आ गई आँखों की नमी,


मैं हँसना भी चाहूं तो पलके भीग जाती हैं..!!

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28 DEC 2021 AT 13:12

कुछ को चुभते हैं लफ़्ज़,
कुछ को लहज़े मेरे ..

के क्या कहूँ ज़िंदगी के कमबख़्त,
तजुर्बों ने क्या हाल किया है ..!!

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28 DEC 2021 AT 13:09

जमाना तो बहुत शौक से ,

सुन रहा था..

हम ही रो पड़े अपनी दास्तां,

सुनाते सुनाते....

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28 DEC 2021 AT 13:04

“जिंदगी इतनी मुश्किल इसलिए भी है, क्योंकि

लोग आसानी से मिली चीज की कीमत
नहीं जानते।” 

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16 DEC 2021 AT 13:44

मुहब्बत लिबास नही जो रोज बदला जाए,

मुहब्बत कफ़न है पहन कर उतारा नहीं जाता।

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8 DEC 2021 AT 18:03

बहुत बारीकी से ढूंढते हैं अब वो मुझमे कमियाँ...!!

जिन्हें कभी मैं मुकम्मल लगा करता था...!!

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7 DEC 2021 AT 18:47

चुप रहो क्यूँ मिज़ाज पूछती हो ,

हम जिएँ या मरें तुम्हें क्या है ??

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4 DEC 2021 AT 15:46

वो वक्त अलग था जब तलबगार थे तेरे

अब तु खुदा भी बन जाए तो हमें गवारा नहीं।

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4 DEC 2021 AT 15:43

खिदमत में तेरी, बस इतना ही कर सकते हैं रहगुज़र
ज़ख्म मिले जो कभी, तो मरहम हम बन जाएंगे!!

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4 DEC 2021 AT 15:39

क्या कहूं? अब अल्फाजों में उतना दम नही रहा
सुन सके खुदा भी, अब आवाजों में उतना दम नहीं रहा
दुश्मन बन चुका है, इंसान ही इंसान का, दूसरे के दुःख में खुशी है
नही तकलीफ़ होती अब किसी को, दिली-जज्बातों में उतना दम नही रहा।

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