जाने किस को पसंद आ गई आँखों की नमी,मैं हँसना भी चाहूं तो पलके भीग जाती हैं..!! -
जाने किस को पसंद आ गई आँखों की नमी,मैं हँसना भी चाहूं तो पलके भीग जाती हैं..!!
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कुछ को चुभते हैं लफ़्ज़, कुछ को लहज़े मेरे .. के क्या कहूँ ज़िंदगी के कमबख़्त,तजुर्बों ने क्या हाल किया है ..!! -
कुछ को चुभते हैं लफ़्ज़, कुछ को लहज़े मेरे .. के क्या कहूँ ज़िंदगी के कमबख़्त,तजुर्बों ने क्या हाल किया है ..!!
जमाना तो बहुत शौक से , सुन रहा था..हम ही रो पड़े अपनी दास्तां, सुनाते सुनाते.... -
जमाना तो बहुत शौक से , सुन रहा था..हम ही रो पड़े अपनी दास्तां, सुनाते सुनाते....
“जिंदगी इतनी मुश्किल इसलिए भी है, क्योंकि लोग आसानी से मिली चीज की कीमत नहीं जानते।” -
“जिंदगी इतनी मुश्किल इसलिए भी है, क्योंकि लोग आसानी से मिली चीज की कीमत नहीं जानते।”
मुहब्बत लिबास नही जो रोज बदला जाए,मुहब्बत कफ़न है पहन कर उतारा नहीं जाता। -
मुहब्बत लिबास नही जो रोज बदला जाए,मुहब्बत कफ़न है पहन कर उतारा नहीं जाता।
बहुत बारीकी से ढूंढते हैं अब वो मुझमे कमियाँ...!!जिन्हें कभी मैं मुकम्मल लगा करता था...!! -
बहुत बारीकी से ढूंढते हैं अब वो मुझमे कमियाँ...!!जिन्हें कभी मैं मुकम्मल लगा करता था...!!
चुप रहो क्यूँ मिज़ाज पूछती हो , हम जिएँ या मरें तुम्हें क्या है ?? -
चुप रहो क्यूँ मिज़ाज पूछती हो , हम जिएँ या मरें तुम्हें क्या है ??
वो वक्त अलग था जब तलबगार थे तेरेअब तु खुदा भी बन जाए तो हमें गवारा नहीं। -
वो वक्त अलग था जब तलबगार थे तेरेअब तु खुदा भी बन जाए तो हमें गवारा नहीं।
खिदमत में तेरी, बस इतना ही कर सकते हैं रहगुज़रज़ख्म मिले जो कभी, तो मरहम हम बन जाएंगे!! -
खिदमत में तेरी, बस इतना ही कर सकते हैं रहगुज़रज़ख्म मिले जो कभी, तो मरहम हम बन जाएंगे!!
क्या कहूं? अब अल्फाजों में उतना दम नही रहासुन सके खुदा भी, अब आवाजों में उतना दम नहीं रहादुश्मन बन चुका है, इंसान ही इंसान का, दूसरे के दुःख में खुशी हैनही तकलीफ़ होती अब किसी को, दिली-जज्बातों में उतना दम नही रहा। -
क्या कहूं? अब अल्फाजों में उतना दम नही रहासुन सके खुदा भी, अब आवाजों में उतना दम नहीं रहादुश्मन बन चुका है, इंसान ही इंसान का, दूसरे के दुःख में खुशी हैनही तकलीफ़ होती अब किसी को, दिली-जज्बातों में उतना दम नही रहा।