तुम्हारी dairy में लिखीं कहानियों का हीरो मैं कभी नहीं रहा.. आज भी तुम्हारी dairy में किसी ओर हीरो का ज़िक्र हैं.. लेकिन क्यू मैं उस हीरो को खुद में जीते रहता हूं? मैं तो सिर्फ हमेसा एक किरदार था तुम्हारी कहानी मैं... जिसे कभी भी पूरी कहानी नहीं मिलती हैं जीने के लिए!
कभी कभी हमे बहुत कुछ कहना होता हैं उसके साथ हंसना होता हैं उसके साथ रोना भी कभी कभी बस हम उसे सुनना चाहते हैं तो कभी ऐक टक देखना उसे पर नहीं होती हैं कोई भाषा हमारे पास बस एक लंबी ख़ामोशी होती हैं दोनो के दरमियां