सवाल - हिंदू महिलाएं करवाचौथ का व्रत क्यों रखती है? क्या धार्मिक भावना या आस्था के कारण??
जवाब -
नहीं। धार्मिक भावना या आस्था के कारण नहीं। कई और कारण है।
1. शौक।
इस दिन नए कपड़े पहनने का मौका मिलता है। सुंदर दिखने का। सोशल मीडिया में फोटो डालने का सुनहरा मौका।
2. सामाजिक स्वीकृति।
सब महिलाएं रख रही हैं, तो मुझे भी रखना चाहिए।
3. सामाजिक भय।
यदि नहीं व्रत रखा, तो ससुराल और मायका दोनों पक्षों से सुनने को मिलेगा। शायद पति से भी।
4. धर्म ने उन्हें इस प्रकार के अवसर दिए हैं खुश रहने के। भूखा रहने के कष्ट में भी सुख अनुभव करने की उनकी प्रवृत्ति। (ये प्रवृति भी धर्म ने उनमें विकसित की है)-
चौथ शब्द का अर्थ
चौथ एक तिथि होती है। कृष्ण या शुक्ल पक्ष का चौथा दिन। परंतु हिंदू धर्म में कुछ भी संभव है। यहां केवल गाय को ही नहीं बल्कि तिथियों को भी माता बनाया जा सकता है। तीज माता, चौथ माता, छठ माता। और तो और चौथ माता की मूर्ति बनाकर उसकी पूजा भी की जाती है।
नोट - हरियाणा में चौथ का अर्थ - 'गोबर का चौथ' भी होता है।-
करवाचौथ व्रत कथा
एक बार गुणवती नाम की महिला ने अपने मायके में अपने पति की दीर्घायु के लिए कार्तिक मास की चौथ को व्रत रखा। उसके 7 भाई थे।
जैसे जैसे रात्रि हुई, चांद नहीं दिखा, तो भाइयों से बहन को भूखा न देखा गया। उन्होंने धोखे से पीपल के पेड़ में से नकली चांद दिखा कर बहन का व्रत खुलवा दिया। जैसे ही बहन ने पहला निवाला खाने की कोशिश की, उसमें बाल आ गया, दूसरे निवाले से पहले एक कुत्ता भौंक पड़ा, पर अंत में उसने तीसरा निवाला खा ही लिया।
और तुरंत उसके पति की मृत्यु का समाचार उस तक पहुंच गया। उसके ससुराल पक्ष ने उसे चुड़ैल, डाकण आदि कहना शुरू कर दिया, तभी चौथ माता प्रकट हो गई और कहा कि गुणवती ने पूरी निष्ठा से अपना पतिव्रत का पालन किया है। और उसके पति को पुनर्जीवित कर दिया।
आश्चर्य की बात है कि आज की आधुनिक शिक्षित नारी (प्रोफेसर, डॉक्टर, वकील आदि) भी ये वाली कहानी सुन रही होगी। धन्य है उनकी शिक्षा।-
करवाचौथ व्रत कथा
एक बार गुणवती नाम की महिला ने अपने मायके में अपने पति की दीर्घायु के लिए कार्तिक मास की चौथ को व्रत रखा। उसके 7 भाई थे।
जैसे जैसे रात्रि हुई, चांद नहीं दिखा, तो भाइयों से बहन को भूखा न देखा गया। उन्होंने धोखे से पीपल के पेड़ में से नकली चांद दिखा कर बहन का व्रत खुलवा दिया। जैसे ही बहन ने पहला निवाला खाने की कोशिश की, उसमें बाल आ गया, दूसरे निवाले से पहले एक कुत्ता भौंक पड़ा, पर अंत में उसने तीसरा निवाला खा ही लिया।
और तुरंत उसके पति की मृत्यु का समाचार उस तक पहुंच गया। उसके ससुराल पक्ष ने उसे चुड़ैल, डाकण आदि कहना शुरू कर दिया, तभी चौथ माता प्रकट हो गई और कहा कि गुणवती ने पूरी निष्ठा से अपना पतिव्रत का पालन किया है। और उसके पति को पुनर्जीवित कर दिया।
आश्चर्य की बात है कि आज की आधुनिक शिक्षित नारी (प्रोफेसर, डॉक्टर, वकील आदि) भी ये वाली कहानी सुन रही होगी। धन्य है उनकी शिक्षा।-
करवाचौथ - एक अंधविश्वास
अंधविश्वास एक धार्मिक संस्कार होता है जिसको मानसिक रूप से अंधे होकर मनाया जाता है।
लॉजिक - जिस प्रकार श्राद्ध में ब्राह्मण या एक कौवे को भोजन कराने पर भोजन सीधा पूर्वजों तक पहुंच जाता है, उसी प्रकार पत्नी के एक दिन भूखा रहने पर पति की उम्र बढ़ जाती है।
और पति की उम्र बढ़ाने का ठेका केवल पत्नी का है। पत्नी चाहे जितना जल्दी मर जाए, पति की कोई जिम्मेदारी नहीं है।
करवाचौथ एक पितृसत्तात्मक (Patriarchal) त्यौहार है।-
हिंदू धर्म का पहला स्तंभ - झूठ
यह धर्म आत्मा, परमात्मा, स्वर्ग-नर्क, मोक्ष, पाप-पुण्य आदि परिकल्पनाएं बेचता है। बेचता है क्योंकि इनके बदले में धर्म को मानने वाले व्यक्ति से धन ऐंठा जाता है।
हमें देवता-राक्षसों की कहानी सुनाई जाती है।
कृत, त्रेता, द्वापर और कलियुग नामक चार युग बताए जाते हैं।
हमें ब्रह्मा, विष्णु, महेश की मनोहर कहानियां सुनाई जाती है।
हमें विष्णु के कूर्म, कच्छप, वामन, नरसिंह, परशुराम, राम, कृष्ण आदि के अवतारों की काल्पनिक कहानियां इतिहास कहकर परोसी जाती हैं।-
सवाल -
आप धर्म का अपमान क्यों करते हैं?
वो भी विशेषकर हिंदू धर्म का?
जवाब -
मैं धर्म का अपमान नहीं करता। मैं केवल धर्म के बारे में जो सच है, वह कहता हूँ। आप सच स्वीकार नहीं कर पाते, वो अलग बात है। धर्म केवल झूठ, अंधविश्वास, गप्पबाजी और भेदभाव के स्तंभों पर टिका है, तो उसी की तो बात होगी।
और बात रही हिंदू धर्म की, मैं संयोगवश इसी धर्म में पैदा हुआ, एक समय के बाद, अपने अनुभव और ज्ञान के आधार पर मैंने इस धर्म की सच्चाई को जाना। जिस धर्म को नजदीक से जानता हूँ, उसी के बारे में बात करूंगा।
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नास्तिक होने के फायदे
2.
धन प्राप्ति के लिए आपको लक्ष्मी, कुबेर आदि की पूजा नहीं करनी पड़ती। परिश्रम का महत्व समझ में आता है।
ज्ञान प्राप्ति के लिए सरस्वती की पूजा नहीं करनी पड़ती। किताबों और अपनी बुद्धि पर विश्वास पर्याप्त रहता है।
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नास्तिक होने के फायदे
1.
आपके मन से डर खत्म हो जाता है भूत और भगवान का, अशुभ और अपशकुन का।
आपके साथ घटनाएं घटती हैं, किंतु उनमें आप किसी पारलौकिक शक्ति का हस्तक्षेप देखना बंद कर देते हैं।
आप ये समझ जाते हैं कि जीवन में सुख और दुख आना ही है। उसका आपके ईश्वर में विश्वास और अविश्वास से कोई लेना देना नहीं।-
¶¶ धर्म की शिक्षा ¶¶
जब आप पैदा हुए तो
आपका कोई धर्म नही था।
फिर समय के साथ
आपको आपके माता पिता बताते हैं कि
आप हिंदू हैं, मुस्लिम हैं या क्रिश्चियन हैं।
फिर समय के साथ वो ही आपको बताते हैं,
कि सृष्टि की रचना
किसी ब्रह्मा, विष्णु, महेश ने की,
किसी अल्लाह ने की,
या फिर किसी God ने की।
आप बस नींद में चलने वाले
बीमार व्यक्ति की तरह मान लेते हैं,
कभी सवाल नही करते।
कभी ये भी नही पूछते कि
अगर आप दूसरे धर्म में पैदा होते
तो भी ये मानते जो आज मानते हैं???-