Sandeep Pant   (पागल)
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पहला वार हमीं ने झेला... हम पेड़ों की छाल रहे हैं...
Joined 12 May 2018


पहला वार हमीं ने झेला... हम पेड़ों की छाल रहे हैं...
Joined 12 May 2018
11 FEB 2020 AT 19:43

इस दुनिया के मेले पर भी...
लिखो चाट के ठेले पर भी...
खून-पसीने-धेले पर भी...
बाबा जी के चेले पर भी...

प्रियतम की आँखों पर लिखना...
मिस्ठी सी बातों पर लिखना...
चैन-सुकूं-रातों पर लिखना...
स्वप्निल बारातों पर लिखना...

भूखे फुटपाथों पर ताको,
चिड़िया बन नीड़ों में झांको,
टूटे हुए बटन भी टांको,
सबरी जैसे कुछ फल चाखो,

आँखों में पानी को रखना,
पावों के छाले भी चुनना,
बुरे और अच्छों को सुनना,
मेरी गुड़िया कविता बुनना।

#पगली_का_दादा

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14 JAN 2020 AT 18:03

हमारे सब्र का इम्तेहां मत लेना...
हमने चिट्ठियों का दौर देखा है...

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10 JAN 2020 AT 12:26

खोज रहे हैं नित ही स्वयं को...
पालित पोषित एक वहम को...

"दिनकर" की पाती में खोए
देख "निराला" की छवि रोए

"नीरज" से अनुपम छंदों को
"तुलसी" से कुछ अनुबन्धों को

"बच्चन" के मधुरस में भीगें
"अदम" सरीखे लड़ना सीखें

"ग़ालिब" के शेरों को चूमें
हम "देवल" के पढ़कर झूमें

"कबिरा" के चरणों को चूमें
"मीरा" बन मन ही मन झूमें

"अटल" सरीखे हिम को देखें
या "बैचेन" से ही कुछ सीखें

"कालिदास" का दूत दिखा गुम
"नागार्जुन" की आँखें गुमसुम

क्या बतलायें क्यों रोए हैं
किसे पढ़ा और क्यों खोये हैं...


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8 JAN 2020 AT 18:50

ढूंढ रहा हूँ कुछ लम्हों को
कुछ सपने नन्हे नन्हों को
शायद पग की बाधाओं में
लक्ष्य साधने चला तीर जो
भटका हुआ कहाँ लगता है?


पत्थर पूज पूज हम हारे
किन्तु न उत्तर मिला ज़रा रे
थकन नाचती घर और द्वारे
पथ में कुछ पल थक जाने से
बोझिल जीवन, क्यों लगता है?


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6 DEC 2019 AT 15:24

कृष्ण ने चाहे दे दिया, सबको गीता ज्ञान
राधा से पहले नहीं, लेकिन आया नाम

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1 DEC 2019 AT 23:11

हर एक नज़र बदन को छू कर गुज़री
ख़ूबसूरत होना भी गुनाह हो जैसे...

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23 NOV 2019 AT 11:48

इनकारी इज़हार हुआ है,
बेमतलब तकरारें हैं...

कौवों,श्वानों और गिद्धों की
मिली-जुली सरकारें हैं...

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22 NOV 2019 AT 11:47

चूड़ी भी खामोश है, पायल बिन आवाज
नहीं हमारे फ़ोन का, उत्तर आया आज

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14 NOV 2019 AT 19:46

कभी नहीं डरकर गया, मैं मालिक के द्वार
लेकिन बच्चों के लिए, क्या करता इस बार

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31 OCT 2019 AT 21:29


मरहम करता है असर, भर जाते हैं घाव
चोर नज़र से देखने, जब आते हैं पाँव

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