Sandeep Mishra  
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Jarurat ki hisaab see bsss sabki jarurato ko pura karna h...
Joined 26 September 2019


Jarurat ki hisaab see bsss sabki jarurato ko pura karna h...
Joined 26 September 2019
16 MAR AT 8:28

कोई है जिसे रोज़ की और राज़ की
हर बात बताने का दिल करता है।
बिना बात भी जिसको फोन लगाने को दिल करता है।।
जिसके हाथों की लकीरों में उतर जाने को दिल करता है।।
एक मुद्दत से बिखरे थे, अब उसके लिये संवर जाने को दिल करता है।।
❤️❤️❤️❤️

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19 JAN AT 10:37

तुम एक इंतज़ार ही तो हो...!!
वो जो दो धड़कनों के बीच में
वक़्त होता है न
खाली सा, शांत सा, जिसमें शून्य रहता है
मगर जिसमें अगली धड़कन की उम्मीद होती है
तुम वो हो....

पलकें जब झपक कर खुलतीं हैं,
तो किसी को ढूंढती हैं
किसी को पाती नहीं तो फिर बंद हो कर
फिर खुलतीं हैं
ये जो बंद हो कर खुलने का सिलसिला है न,
इसे तलाश कहते हैं
तुम वो हो...

बारिश को ही देख लो,
जहाँ गिरती है भिगा देती हैं
मगर पता है,
बारिश कम हो तो उमस भड़क जाती है
उस उमस से जो प्यास जगती है न
एक सूखे गले मे
तुम वो हो...

सड़क को देखा है कभी,
हमेशा चलती रहती है
लोग रुकते हैं,
कहीं मुड़ने के लिए,
किसी और सड़क से जुड़ने के लिए
वो इंतज़ार जो वो सड़क करती है
किसी के लौटने का
तुम वो हो...

हाँ, तुम एक इंतज़ार ही तो हो...!!

#तेराइंतज़ार❤️

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5 JAN AT 11:26

सुनो फलानी ..❣️

मेरे अनंत प्रेम के परिमंडल में
अन्तर्मन का व्यास हो तुम..!!

❣️❣️

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3 JAN AT 21:33

सुनो ना, मुझमे अपना वजूद छोड़ गई हो तुम,

ख्वाबों में चन्द सिलवटे छोड़ गई हो तुम
मेरे बिस्तर में अपनी करवटे छोड़ गई हो तुम।

ले गई जाते जाते तुम वजूद मेरा
देखो मुझमें अपनी सारी हरकते छोड़ गई हो तुम।

तुम्हारी ही मासूमियत झलकती है मेरे चेहरे से अब
मेरी दुआओं मे अपनी बरकते छोड़ गई हो तुम।

रहती हैं सीने में तुम्हारे इन अनछुए एहसासों की गरमाहट
रोज के इस सर्द मौसम मे जो गरम हसरते छोड़ गई हो तुम।

दिल को अब मेरे कहीं आराम नही मिलता
ना जाने इसकी कौन-सी अधूरी हसरते छोड़ गई हो तुम।

मैं अपना दर्द भी लिखता हूं तो प्यार बन जाता हैं
कुछ ऐसी मोहब्बत वाली मुझमें आदते छोड़ गई हो तुम।

ये मैं नही कहता जरा पूछो इस जमाने से
उनकी आंखों के लिए जो राहतें छोड़ गई हो तुम।

सिर्फ मेरे लिए आओगी ये दुनिया कहती है,
उन्हें कौन बतायें कि कितना बदल गई हो तुम।

सुनो ना, मुझमे अपना वजूद छोड़ गई हो तुम।।।।

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7 NOV 2024 AT 9:04

मैं मिट्टी ले आऊंगा, तुम चूल्हा बनाना
मैं खीर , प्रसाद बना लूंगा , तुम बस ठेकुआ बनाना,
ले आऊंगा जब नारियल, नींबू , संचा, अदरक बाजार से ,
रखकर बांस के टोकरी में, तुम दउरा सजाना,

सजाकर प्रसाद का दउरा , तुम भी तैयार हो जाना,
अगर दिक्कत हो सजने में , सिंदूर लगाने मुझे बुलाना ,
मैं पायल भी बांध दूंगा, पांव को रंगों से सजाऊंगा,
ना लगे किसी की नजर , छिपाकर काला टीका भी लगाऊंगा,
जीवन के इस सफर में पकड़ कर एक दूसरे का हाथ चलना है,
रखकर माथा पर दउरा हर साल ,
तुम्हारे साथ छठ घाट चलना है...!

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5 NOV 2024 AT 0:16

हल्की हल्की सर्दिओ की आहटें सुनाई
देने लगी हैं...! !
तेरी यादों की शाल एक बार फ़िर से
लिपेट ली हैं....
तुम नहीं तो जैसे कुछ भी नहीं हैं मगर...
फ़िर भी तुम मेरे करीब हो बहुत करीब
हो मेरे...!
अपने खूबसूरत एहसासों की तरह तुम्हें
महसूस कर लेता हूँ...! !

हल्की हल्की ठंड में जब कभी बदन में
कम्पन्न सा होता हैं तो तुम्हारी यादों की
सौंधी सौंधी सी गरमाहट को ओढ़ लेता हूँ,
अपनी इस तन्हा सी तन्हाई में...!!

कभी कभी एक मीठी धूप का टुकडा
खिड़की से मेरे जिस्म को आकर यूँ छू
लेता हैं,
जैसे मानो तुमने मुझको जब पहली
बार यूँ ही अचानक छू लिया था,
तुम्हारे चेहरे पर तुम्हारी वो मासूम सी हिचकिचाहट
और हल्की सी घबराहट तुम्हारे अंतस मन से
तुम्हारे चेहरे पर देखते ही बनती थी,
ये एहसास मुझे भी एक खूबसूरत एहसास से सराबोर
कर जाता हैं और एक हल्की सी मुस्कुराहट
दे जाता हैं मुझे...!!

अक्सर एक मीठी धूप का टुकड़ा खिड़की
से मेरे चेहरे पर आकर यूँ ठहर जाता हैं,
जैसे ये धूप का टुकड़ा नहीं तुम मुझसे
मिलने आयी हो...!!

तुमसे बस यही गुजारिश है के यूँ ही मिलते
रहना....इस मीठी धूप की मानिंद...
बहुत ही खूबसूरत एहसास हैं तुम्हारा.....
आते रहना....अच्छा लगता हैं....

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27 SEP 2024 AT 12:30

बनारस की गंगा घाट पर शाम की गंगा आरती जितनी खूबसूरत और सुकून देने वाली है,

भोर की सुबह कोयल की मीठी आवाज़ जीतनी खूबसूरत है,
बारिश के बाद उजली खिली धूप सी खूबसूरत है,

16 श्रृंगार भी बस एक माथे पर काली बिंदी और आँखों में हलके से काजल में समा लेने वाली है,

मेरी अधूरी कहानी की एक मुकम्मल किताब सी है।।

एक लड़की है, जो बिलकुल मेरे ख़्वाब सी है।।।।।

❤️❤️❤️❤️

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24 SEP 2024 AT 21:46

तुम छोड़ो कुछ भी कहने को,
मैं कहता हूँ, मुझे कहने दो।।

एकतरफा इश्क़ ही बेहतर है,
मैं करता हूँ, तुम रहने दो।।

इकरार रहता है,मेरे जुबां पर हर वक़्त,
इजहार तुम रहने दो, मैं करता हूँ तुम रहने दो।।




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17 SEP 2024 AT 23:34

आज तेरी यादों ने फिर हमें नींद से जगा दिया,
तू मेरी है तू मेरी है का दिल में शोर मचा दिया।।
और क्या करते तुझे अपनी बाहों में भरके,
हमने भी आंखे बंद की और तुझे बाहों में सुला लिया,
आज तेरी यादों ने फिर हमें नींद से जगा दिया।।

रात भर तेरी जुल्फे मेरे चेहरे से सवाल करती रही,
तू मुझमें खोई सी भी रही और बवाल करती रही।।
तुमने पूछा मेरा हाल मोहब्बत से,
फिर पलकें झपकाई और इश्क़ का इकरार करती रही।।

बातें होने लगी फिर एक होने की,
हमने भी हथेली थामे रखी, दिल के कोने की।
फिर यूँ हुआ कुछ पल को हम खामोश हो गए,
और फिर आँखों ने सारा दिल के हाल का किस्सा सुना दिया।।
आज फिर तेरी यादों ने हमें नींद से जगा दिया।।।

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1 JUL 2024 AT 0:41

हटाकर आईने को सामने मुझको बैठाती वो..
अपनी माँग को अपने हाथो से मेरे लिए सजाती वो।।

नहीं आते पहनने पाँव में पायल घुंगरू उसको,
सुनो,जरा पहनाओ ना कहकर को गर्दन झुकाती वो।।

उसे आता नहीं साड़ी पहनना, मुझे डाँटना ना जी कहकर,
कभी उल्टा-कभी सीधा पल्लू को बनाती वो।।

अपने को मेरे लिये संवारती वो,,
मेरे नज़दीक जाने से थोड़ा सा हिचकिचाती वो।।

कहती है कि ख़्वाबों में ना सोचा था मेरा मुर्शीद शायर होगा,,
मुझी से शायरी सुनती है फिर मुझी को सुनाती वो।।

हटाकर आईने को सामने मुझको बैठाती वो..


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