14 AUG 2018 AT 21:58

यूँ ही नहीं मिली आजादी
है दाम चुकाए वीरों ने,
कुछ हंस कर चढ़े हैं फांसी पर
कुछ ने जख्म सहे शमशीरों के,
यूँ ही नहीं मिली आजादी
है दाम चुकाए वीरों ने।

(अनुशीर्षक में पूरी कविता पढ़ें।)

- © Sandeep Kumar Singh