Sandeep Kumar Singh   (© Sandeep Kumar Singh)
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Teacher by profession
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Joined 8 June 2017


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28 JAN 2022 AT 0:01

यदि आप किसी और से कुछ चाहते हो
(सम्मान, आदर, ध्यान, महत्व, समय)
और वो आपको नहीं देते,
जिसके कारण आपको दुख होता है।

तो याद रहे,
आप अपनी ही इच्छाओं से दुखी हो।
सामने वाले का कोई दोष नहीं है।
क्योंकि ये सब आप चाहते हो वो नहीं।— % &

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22 JAN 2022 AT 18:39

न ये द्वापरयुग है,
न बंसी वाला आएगा,
कलयुग के धनानंद को
चाणक्य ही मिटाएगा।

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22 JAN 2022 AT 18:11

अपना सब कुछ पाक-पवित्र
दूजे का सब झूठा,
खुद से हो तो गलती बोले,
दूजे से रहे रूठा।

बोलो क्या?
इंसान

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31 DEC 2019 AT 17:42

काबिल न भरोसे के
कोई भी ज़माने में,
इक राज़ नया खुलता
इक राज़ छिपाने में।

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14 AUG 2018 AT 21:58

यूँ ही नहीं मिली आजादी
है दाम चुकाए वीरों ने,
कुछ हंस कर चढ़े हैं फांसी पर
कुछ ने जख्म सहे शमशीरों के,
यूँ ही नहीं मिली आजादी
है दाम चुकाए वीरों ने।

(अनुशीर्षक में पूरी कविता पढ़ें।)

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26 MAY 2018 AT 15:22

Learning how to live
without the things you want.

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6 JAN 2022 AT 19:37

त्रिलोक में सबको जन्म दिया
फिर वो ही क्यों बेचारी हो,
सम्मान सभी को देना है
प्रकृति, वसुधा या नारी हो।

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16 DEC 2021 AT 18:43

दुनिया तो एक ही है,
फिर भी सबकी अलग है।

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28 OCT 2021 AT 19:37

आंखें सो जाती हैं मगर
दिमाग़ कहां सोते हैं,
दर्द देते हैं मगर दिखते नहीं
कुछ घाव ऐसे होते हैं

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28 OCT 2021 AT 19:30

अपनी ज़िद पर जब इंसान
खड़ा हो जाए बन चट्टान,
वक़्त ज़रा लगता है लेकिन
थम जाता है हर तूफ़ान

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