Sandeep Kumar   (Sandeep kumar)
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Joined 22 December 2017


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Joined 22 December 2017
7 DEC 2024 AT 23:46

कुछ मुसाफ़िर इस तरह चल रहे
हमसफ़र नहीं फ़िर भी साथ चल रहे
जो हमसफ़र वो रुसवा हो रहे
वो गुमसुदगी से अधिर हो रहे
बस मिन्टो मे अनमोल पल गुजर रहे

चन्द लम्हो की खुशी के खातिर
वो अनमोल लम्हे भुलाए जा रहे
बिताए हुए पल याद कहा अब
कसमकस मे जिन्दगी जिए जा रहे

रुका हुवा पल जैसे दो घड़ी ठहर जा
उसकी रुसवाई को याद किए जा रहे
गैरो की निगाहो से क्या तलाश रहे
खुद की निगाहो से याद मिटाए जा रहे

वो साथ इस कदर चल रहे
दुश्मन भी अपने लग रहे
चालाकीया लोगो की समझ न सके
जरा सी खुशी के लिए अपनो को खोए जा रहे

साथ चलने का इंतजार कर रहे
वो अब किसी और के साथ चल रहे
जो मीठे पलो को चालाकी बता रहे
नफ़रत के बीज बोए जा रहे
उकेरे जो लकिरो मे वो पन्ने बदले जा रहे!!
वो मुसाफ़िर हमदर्द बने फ़िर रहे
कुछ पन्नों मे अपना नाम लिख रहे
कालिख लगी स्याही से रन्गे जा रहे
अन्धेरा समीप है सम्भल जा
सिकारी भेडिए सामने नजर आ रहे!!

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7 DEC 2024 AT 7:50

मै देख रहा था उसको उसकी नजरो से
वो देख रहे थे हमे जमाने की नजरो से
कम्बख्त इश्क था उसकी निगाहो से
वो देख रहे थे हमे जमाने की नजरो से

बाते तो उसकी और मेरी थी पर बतलाए गैरो से
जिन्दगी तो हमारी थी पर सलाहकार कही और से
मै देख रहा था उसको उसकी नजरों से
वो देख रहे थे जमाने की नजरो से

खुद जो बर्बाद थे अपनी जिंदगी मे
आबाद होने की सलाह दे रहे
पुरानी गलियो मे वो जिन्दगी तलाश रहे
देख रहा था उसको उसकी नजरो से
वो देख रहे जमाने की नजरो से

वक्त गुजर जायेगा लेकिन सिर्फ़ तपिश छोड़
आज और कल का क्या है बादल बदल जायेगा बारिश छोड़
वो मुकम्मल इन्सान तलाश रहे
मै देख रहा उसको उसकी निगाहो से
वो देख रहे थे हमे जमाने की नजरो से

समाज के ठेकेदार फ़रिश्ते बन रहे
चमड़ी और दमड़ी के भाव लगा रहे
रोज नए चदर बदले जा रहे
जो जी रहे उस तालाब मे वो समन्दर को
बेकार बता रहे
मै देख रहा उसको उसकी निगाहो से
वो देख रहे जमाने की नजरो से

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7 DEC 2024 AT 7:23

लाख गुनाहो की सजा माफ़ हो जाती है
चरित्र पर लगा दाग नहीं

सुबह एक नया सवेरा लाती साम ढलते अंधकार
लाख गुनाहो की सजा माफ़ हो जाती
चरित्र पर लगा दाग नहीं

तवायत खानो मे जिस्म बिकती
धोखे दोस्त खुले आम देते
लाख गुनाहो की सजा माफ़ हो जाती
चरित्र पर लगा दाग नहीं

जिंदगी जिन्दा नहीं अब
मौत भी खफ़ा हो चली
लाख गुनाहो की सजा माफ़
चरित्र पर लगा दाग नहीं

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7 DEC 2024 AT 1:02

!!कभी - कभी मै गुलाम नजर आता हूँ
तो कभी - कभी आजाद नजर आता हूँ

की उसकी याद मे कहा नजर आता हूँ
सूख गई नदिया सारी सूख गये ये वन
हवा का झोका सा मै कही नजर आता हूँ

ठहरा हुवा पल जैसे बीत रहा रुका हूवा
ये लम्हा बीत रहा आने वाला समय नजर आता हूँ
खामोश नजरे ताक रही आंखो मे मन्जर नजर आता हूँ

बदल रहे ये बादल - बिना मौसम बारिश नजर आता हूँ
मेरी ताकत अब मीट रही जरा संभल रहा
थका थका सा नजर आता हूँ

समय का पहिया घुम रहा जिम्मेदारियो का पुलिन्दा नजर आता हू

सूख रही स्याही इस कलम की कलम से ज्यादा मजबूर नजर आता हूँ

मै तो पैदल चल रहा न कोई राही न कोई हमराही
तन्ग राहो मे भट्का हुवा नजर आता हूँ

दोस्त बदल गये स्वार्थ के दामद मे अनमोल खजाने छूट गये, जो तटबंध नजर आता हूँ

समस्या विकराल है उसके आगे हौसलो से भरा नजर आता हूँ
टूट रहा मै अब एक ख्वाब सा नजर आता हूँ
खामोश हू पर समन्दर सा शैलाब नजर आता हूँ
अकेला नजर आता हूँ!!

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7 DEC 2024 AT 0:15

!!समाज के अनुसार चलने वाले तालाब के जीवो जैसे है जो कभी समंदर का सफ़र तय नहीं कर सकते!!

!!जिसके पास आंख तो है पर सच न देख पाए वह अन्धे से भी ज्यादा लाचार होता हैं!!

!!अन्धकार से अच्छा है उजाले की ओर चलो मन्जिल मिले या न मिले सही रास्ते पर रहोगे!!

!!न कोई आज सुदामा है न कोई आज केशव है तो केवल विभीषण!!

!!पुराने कपड़े का मोह रखोगे तो नये कपड़े का आनन्द कैसे लोगे!!

जैसे आत्मा पुराने शरीर को त्याग कर नया शरीर धारण कर लेता है!!

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3 DEC 2024 AT 21:30

कब्र से निकल मुर्दे गवाही दे रहे
यहा हुश्न भी कन्काल बन रहे
आन्गन मे अपने कोई खुश नहीं
दूसरे के दामन मे झाक रहे
कब्र से निकल मुर्दे गवाही दे रहे

कोई लेखक तो कोई कवि
किसी ने वकालत की
धीरे धीरे वे भी कन्काल हो रहे

मुर्दो के बाजार मे अनमोल रतन बिक रहे
कही अपनी बेवकुफ़िया तो कही घरो के
ताले बिक रहे

बिकती है यहा रंगों के रन्ग बिक रहे आन्गन मस्जिद के
मुर्दो के ठेके दारो से पूछ लो
कब्र से निकल मुर्दे गवाही दे रहे

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3 DEC 2024 AT 5:11

बात कड़वी है पर सच है

!!दूसरे को अपने घर से दूर रखो और खूद को दूसरे के घर से जीवन की खुशबू बनी रहेगी!!

!!न किसी गैर न किसी दोस्त की कहानी सुनो न कोई कहानी बताओ!!

!! जिन्दगी मे हर किसी का दायरा होता है उसे न तोडो और न किसी को तोड़ने दो!!

!!वक्त को बर्बाद करना हो तो चूगली से अच्छा विचारो मे खो जाओ!!

!!यह सन्सार एक पहेली है तलाश करो जिंदगी वही है!!

!!जिस्म की भूख बगावत कराए या राह बहकाए तो पूछ लो की उसके बाद क्या!!

!!जिस्म की भूख कुछ पल का सुख देगी पर मन मे बोझ आने पर वह जीवन भर ताने मारेगी!!

!!जिस्म की भूख इन्सान को कमजोर और मन की भूख मजबूत बनाती है!!

!!मागने वाला कभी अकेला नही होता पर देने वाला अक्सर अकेला ही होता है!!

!!मित्र गण जिस शैली और भाषा वादी होन्गे वही तुम्हारे मे होगा!!

!!जो है उसकी इज्जत करो!!

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3 DEC 2024 AT 4:45

कोठो से ज्यादा होट्लो मे जिस्म बिक रहे
दोस्त - दोस्त बन एक दूसरे को बेन्च रहे

खुद तो जो वर्बाद है इन गलियो मे
वो ईमानदारी का बाजार सजा रहे
कोठो मे जाना बन्द हो गया
ओयो रूम जो चल रहे

घर के कमरे अब बचे कहा
उन कमरो मे भी ओयो चल रहे

दोस्त इसे एक दूसरे पर आजमा रहे
अपने जैसे सब बनाना चाह रहे
तलाक के मुकदमे इसलिए तो बढ रहे
कोठो से ज्यादा होट्लो मे जिस्म बिक रहे

धोखे का दौर चल रहा
फ़ोन मे पुराने अफ़साने गाये जा रहे
कोठो से ज्यादा होट्लो मे जिस्म बिक रहे

जिस्म की भूख इस कदर
जो आज ओशो का नाम दे रहे
चरित्र चित्रण अब आसान नहीं
जिस्म की भूख को दूसरे का नाम दे रहे
कोठो से ज्यादा होट्लो मे जिस्म बिक रहे

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3 DEC 2024 AT 4:23

!!अक्सर मै और मेरी तनहाईया
कही खो जाया करती
अक्सर मै और मेरी तनहाईया
कही खो जाया करती

तलाश किसकी है इसको
अक्सर मै और मेरी तनहाईया
कही खो जाया करती

राहो मे भट्क रहा
कही अन्धेरो मे कभी उजाले से भाग रहा
अक्सर मै और मेरी तनहाईया

फ़ायदा उठाने लोग खड़े
हमदर्द समझ रहे अपने को
अक्सर मै और मेरी तनहाईया

गूजर चूके उस दौर से जहा इन्सान खरीदे जाते
बेचने को रहा क्या जो खानोश निगाहे
अक्सर मै और मेरी तनहाईया

बहका बहका सा मन मेरा
वो शराबी सा मन मेरा
जिस दौर मे आज मै खड़ा
वो बेरूखियो का दौर चला
अक्सर मै और मेरी तनहाईया

आदत बदल रही नशे मे धुत जिन्दगी
बिगड्ने - बिगाड्ने खड़े दोस्त यार
समझाने को न कोई आस पास अक्सर मै और मेरी तनहाईया!!

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20 NOV 2024 AT 9:22

!!लोग अपनो को एक पल मे खोना पसंद करते है क्या कभी सोचते है उसी अपने को पाने के लिए क्या कुछ नहीं किया!!

!!जो खो जाए वो आपका अपना नहीं और जो आपका अपना होगा वो कभी किसी का नहीं होगा भरोसा रखो अपने और अपने अपने पर!!

!!ईमानदार रहो अपनो को चिट न करे और ईमानदारी रिश्तो मे विश्वास बढाता है यह दोनो तरफ़ से होना चाहिए!!

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