चुपके से दिल में उतर गए हो,
ख़्वाब बनकर हर पल बिखर गए हो।
तन्हाइयों में जब भी याद आई,
जैसे बारिश में रंग बिखर गए हो।
तेरी बातें, तेरा हँसना, तेरा अंदाज़,
जैसे हर लम्हे में संवर गए हो।
तुमसे मिलना कोई फ़साना तो नहीं,
मगर हकीकत से भी बेहतर गए हो।
अब तो हर धड़कन में हो सिर्फ़ तुम,
खुद से भी कहीं बिछड़ गए हो।-
ग़ज़ल: इश्क़-ए-हकीकत
दिल से जो उठे, वो सदा हो गई,
इश्क़ की राह, दुआ हो गई।
जिसे देखा नहीं, फिर भी महसूस है,
वो हकीकत खुदा हो गई।
न लफ़्ज़ों में ढलती, न आँखों में समाए,
ऐसी चाहत हवा हो गई।
ना शिकवा रहा, ना ही कोई गिला,
जब मोहब्बत वफ़ा हो गई।
हर एक साँस में बस तू ही रहा,
ज़िंदगी तेरी रज़ा हो गई।
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"इश्क़ वो नहीं जो नजरों से शुरू हो,
इश्क़ वो है जो रूह से जुड़ जाए।
जिसमें ना जरूरत हो अल्फ़ाज़ों की,
बस ख़ामोशी ही सब कुछ कह जाए।
वो सज़दा नहीं जो सिर झुकाने से हो,
इश्क़ वो इबादत है जो हर सांस में बस जाए।
ना वक़्त का तकाज़ा, ना मंज़िल की तलाश,
इश्क़-ए-हकीकत तो है रूहानियत का एहसास ।।-
"सीमा का प्रहरी"
सीमा पर गूँजते हैं फिर से रण के नगाड़े,
धधक उठी है सरहद, शेरों के हैं इरादे।
ना चिंगारी सहेंगे, ना धूल उड़ने देंगे,
हम भारतवासी हैं, जंग में न झुकने देंगे।
पाक की चालें फिर से हैं कायरता की निशानी,
मगर जवाब देगी अब भारत की जवानी।
तिरंगा थामे जोशीले, मौत से भी न ड़रते,
हर गोली का हिसाब, सीने पर लिखकर करते।
शौर्य हमारा शंखनाद है, साहस हमारा ढा़ल,
जो आँख दिखाए हमको, उसकी आँखें लेते निकाल।
ना युद्ध चाहा हमने, ना खून की प्यास की,
पर शांति को जो ललकारे, उसकी रात भी लाश की।
कश्मीर की कसम है, लहू का हर कतरा बोले,
"हम चैन से जीएंगे, या दुश्मन की जमीं तोले!"
जयहिंद की जयकारों से फिर गूंजेगा आसमान,
जब फहराएगा तिरंगा, लहराकर पाकिस्तान।
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सात वचन लिए थे जो साथ निभाने के,
हर एक पल में उन्हें सच कर दिखाया है।
प्यार सिर्फ़ लफ़्ज़ों में नहीं होता जानम,
तूने हर ख़ामोशी में भी अपना प्यार जताया है।-