तुम इस क्षण ठहर जाती तो अच्छा था,
गुफ्तगू ए हम-नाम से कर पाती तो अच्छा था,
तुम मुझसे इतनी दूर ना जाती तो अच्छा था,
बस उस क्षण ठहर जाती तो अच्छा था...!
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वक़्त ने मुझ को मजबूत कर दिया है
अपना बाजूद भूलाने को
जिस दिन पता चलेगा तो सब को बताऊंगा
तुम इस क्षण ठहर जाती तो अच्छा था,
गुफ्तगू ए हम-नाम से कर पाती तो अच्छा था,
तुम मुझसे इतनी दूर ना जाती तो अच्छा था,
बस उस क्षण ठहर जाती तो अच्छा था...!
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ग्रीष्मकाल की रातों में इश्क फरमाये जाते हैं...
लोग अपना चाँद देखने की खातिर छत पर पाये जाते हैं...!-
यूं खालीपन है उसके बाद
जैसे सांसें जिस्म से नदारद हों,
ज़रूरी नहीं जिनका इश्क
मुकम्मल नहीं उनमें अदावत हो.
हमने तो सीख लिया है
अपनी बेचारगी का जश्न मनाना,
उनसे कोई मिले तो कह देना
शादी की सालगिरह मुबारक हो...-
मैं अपने ही यार की किताब का, वो रुबाई भरा किस्सा हूँ,
अधूरा हूँ उसके लिए शायद, यूँ तो हर पन्ने का हिस्सा हूँ...-