sandeep kumar   (Ashrodeep)
920 Followers · 866 Following

read more
Joined 26 May 2019


read more
Joined 26 May 2019
26 APR AT 7:35

जब मौत अपनी हर नायब चाल से ऊब चुका होगा।

जो ज़िन्दगी से हाथ मिलाकर, मेरे खातिर हर दरवाज़े को बंद कर चुका होगा।

जब उसे लग रहा होगा, की उसकी हसी मेरे अस्तित्व को कर सकती है, नास्तेनाबूद।

मैं तब भी मौत की आंखों में आंखें डाल कर, एक आखिरी जंग के लिए हमेशा तैयार मिलूंगा।

For jon snow. (G.O.T)

-


11 APR AT 0:36

Not for ask something


Surrender to the silence

-


11 APR AT 0:03

आज़ाद कर इस रूह को,
ख़्याली बोझ से एक बार।

-


5 APR AT 15:24

कि बड़ी देर कर दी,
ज़हन से जुबां तक लाने में।
खामोशियों को सुलझाने में।
दिल की बयां कर पाने में।
बड़ी देर कर दी।
और इसी जुर्म की सज़ा,
ताउम्र मिली।

-


1 APR AT 10:08

ना कोई दोस्त ना ही दुश्मन ना उम्र का कोई वास्ता।
मंजिल एक ही है, मगर जुदा जुदा है रास्ता।

-


15 FEB 2023 AT 14:09

हसरतों के बोझ तले दब-सी जाती हो। आखों से सब कह कर भी, मगर जुबां से ख़ामोश रह जाती हो।
गूंज उठती हैं। जो दश्त-ए-तसव्वुर में कही, नख़लिस्तान के नख़लिस्तान पीकर भी, एक बूंद को तरस जाती हो।

आखों से सब कह कर भी, मगर जुबां से ख़ामोश रह जाती हो।

दश्त-ए-तसव्वुर- कल्पनाओं का मरुस्थल
नख़लिस्तान–मरुद्यान

-


11 SEP 2022 AT 22:59

हूँ कैद इन आंखों के काले घेरों में, जनाब।
महकने तो दो हसरत के रंगों को बेहिसाब।
काफूर हो जाएगी शिकायत तुम्हारी भी,
अब खुद को मेरे हवाले कर भी दो जनाब।

-


9 SEP 2022 AT 23:40

उसका खुशनुमा एहसास अब भी बाकी है।
फर्श से अर्श के मकाम की दास्तां भी बाकी है।
क्या हुआ ग़र जिस्म हुए रुख़सत इस जहां से।
इन गुलबक्श फ़िज़ाओं में, वो महक अब भी बाकी है।

-


5 SEP 2022 AT 1:04

ये अनकही बातें,
ख़ामोशियों के गूँज तले कुछ इस कदर दफ़न हो जायेंगी,

मंज़िल वही होगी, लेकिन मंज़र
ए दास्तां बदल जायेगी।

ग़र अगली बार तुम मिलो, तो ले आना कुछ जज़्बातों की फुहारें मेरे अज़ीज़। क्यूंकि मेरे आईने, (दोस्त) पर मायूसी अब और अच्छी नहीं लगती।

-


8 JUL 2022 AT 22:57

कर बंद मेहनत को,
तक़दीर के पिंजरे में।
यूँ सोचता रहा।

अब आएगा,तब आएगा।
फ़िराक़ के तराजू में तौलता रहा।

था सामने ही मेरा रास्ता। मेरे रहबर ।
दूसरों की रजामंदियों में।
गुमनामियों की गालियों में।
दर ब दर भटकता रहा।

-


Fetching sandeep kumar Quotes